Book Title: Dashvaikalik Churni Author(s): Jindasgani Mahattar, Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha View full book textPage 8
________________ श्रीदशवैकालिक चूर्णो १ अध्ययने || 8 || दुविहं आदि अणादिहं च, आदिट्ठे च पज्जवोत्ति वा मेदोत्ति वा गुणोति वा एगट्ठा, तत्थ अणादिहं जहा दसगालियं आदिहं दुमपुष्फियं सामण्णपुब्वयं एवमादि, भावेकगं आदिहं अणादिट्ठे च, अणादिट्ठे भावो, आदिट्ठे उदइओ उवसमिओ खड़ओ खओवसमिओ पारिणामिओ, तत्थ उदइयभावेकगं दुविहं- अणादिट्ठ उदइओ भावो, आदिट्ठे पसत्थमप्पसत्थं च तत्थ पसत्थेक्कगं तित्थगरनामगोत्तस्स कम्मस्स उदओ एवमादी, अप्पसत्थेक्कगं कोहोदओ एवमादि, इयाणि उवसमियखइयखओवसमिया, ते तिष्णिवि भावेकगाणि, ते य छण ( समण) स्स पसत्था चेव, एतेसिं अपसत्था पडिवक्खो णत्थि, कम्हार, जम्हा मिच्छदिठ्ठीणं केई कम्मंसा खीणा के उवसंता, खओवसमेण य कल्लाणं बुद्धीपाडवादिणो गुणा संतावि तेसिं विवरीयगाहित्तणेणं उम्मत्तवयणमिव अप्पमाणं चेव, तुम्हा उवसमियखवियखओवसमिया भावा सम्मदिट्टिणो चेव लब्भंति, परिणामियभावे एकगं दुविहं-- आदिट्ठे च अणादिट्ठे च, पारिणामिअभावे आइटुं दुविहं सादिअपरिणामिएकगं अणाइपरिणामिएकगं च तत्थ साइअपरिणामिएकगं जहा कसायपरिणओ एवमाइ, अणाइपरिणामिएकगं जहा जीवो जीवभावेण निच्चमेव परिणओ । एत्थ कतरेण इक्कगेण अहिगारो ?, भद्दियायरितोवदेसेणं जम्हा दस एते पज्जायअज्झयणा संगहेक्कएण संगहिया तम्हा संगहेकएण एत्थ अहिगारो, दत्तिलायरिओवएसेणं जम्हा सुयणाणं खओवसमिए भावे वह तम्हा भावेकरणं अधिगारो, दोनिवि एते आदेसा अविरूद्धा, भावेकरणं अधीगारो ।। इयाणिं दुगतिगजाव नव एते दारे मोनूण दस भण्णंति, किं कारणं ?, दससु परूविएस दुगादीणि परूवियाणि भविस्संतित्तिकाउं, तम्हा दसगस्स छन्विहो निक्खेवो तं०- नामदस ठवणदस दव्वदस खेत्तदस कालदस भावदस इति, नामठवणाओ गयाओ, इयाणि दव्वदस दस दव्वा सचित्ताचित्तमीसगा, तत्थ सचित्तदव्वा जहा दस मणूसा, अचित्ता जहा दस काहावणा, मीसगा जहा दस अलंकियविभूसिया एककनिक्षेपाः ॥ ४ ॥Page Navigation
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