Book Title: Dashvaikalik Churni
Author(s): Jindasgani Mahattar,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
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चूर्णी
* पुच्छइ को मम पिया ?, सा भणइ-तुब्भ पिया पव्वइओ, ताहे सो दारो नासिऊण पिउसगासं पढिओ, आयरिया य तंकालं.
उद्धारबादश पाए विहरंति, सो दारओ गओ चपं, आयरिएण य सण्णाभूमीगएणं सो दारओ दिट्ठो, दारएण वंदिओ, आयरियस्स तं दारयंस्थानानि वैकालिक
पेच्छंतस्स हो जाओ, तस्सवि दारगस्स तहेव, आयरिएहिं पुच्छिओ-भो दारगा कओ आगमणंति?, सो दारगो भणइ-रायगिहाउ, अधि
रायगिहे तो तं कस्स पुत्तो णत्तुओ वा?, सो भणइ-सेज्जभवो नाम बंभणो, तस्स अहं पुत्तो, सो य किर पव्वइओ, तेहिं भणियं- काराश्च १ अध्ययन
तुमं केण कज्जण आगओऽसि ?, सो भणइ-अहंपि पव्वइस्सं, पच्छा सो दारओ भयवं तं तुम्भे जाणह! आयरिया भणंति-- ॥ ७ ॥ जाणामि, सो कहिंति ?, ते भणंति--सो मम मित्तो एगसरीरभृओ, पव्वयाहि तुमं मम सगासे, एवं करेमि, आयरिया आगंतुं
पडिस्सए आलोएंति-सचित्तो पडुप्पण्णो, सो पव्वइओ, पच्छा आयरिया उवउत्ता-केवइ कालं एस जीवति ? जाव छम्मासा,
ताहे आयरियाण बुद्धी समुप्पण्णा-इमस्स थोवयं आउं किं कायव्वंति?, तं चोद्दसपुवी कहिंपि कारणे समुप्पण्णे णिज्जूहइ, सदसपुवी पुण अपच्छिमो अवस्समेव णिज्जूहह, ममंपि इमं कारणं समुप्पण्णं, अहमवि निज्जुहामि, ताहे आढत्तो णिज्जु
हिउं, ते य निज्जूहिज्जंता वियाले निज्जुढा थोवावसेसे दिवसे, तेण तं दसवेयालियं भणिज्जतित्ति, 'जं पडुचति दारं गयं ॥ __इयाणि जत्तोत्ति दारं वणिज्जइ, एत्थ गाहाओ तिण्णि आयप्पवायपुवा० गाहा (१६५० १३) सच्चप्पवायपुवा' (१७ प. १३) गाहा-'बितिओविय आदसो'(१८ प. १३) गाहा, आयप्पवायपुव्वा णिज्जूढा होइ धम्मपन्नत्तीति, सा एसा चेव ॥ ७॥ छजीवणिया धम्मपण्णत्तित्ति भण्णति, कम्मप्पवायपुव्वा उ पिंडेसणा, सीसो आह-केणाभिसंबंधेण कम्पप्पवादपुव्वे कम्मे वण्णिज्जमाणे पिंडेसणा भण्णइ ?, आयरिओ आह-आहाकम्मं मुंजमाणे कइ कम्मपगडीओ बंधइ ?' जहा भगवतीए, सुद्धं च पिंड
6056CNCC-
माणे पिंडसणापण्यत्तित्ति भण्णति, कम्मप्यावा८ प. १३) गाहा, आयष्यवावा

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