Book Title: Dandakadik Dwar Sangraha
Author(s): Saubhagyashreeji
Publisher: Umedchand Raichand

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ ( 2 ) ६ इंद्रिय ७ समुद्घात ८ संघयण ए संस्थान १० प्राण ११ पर्याप्ति १२ योनी १३ कुळ कोमी १४ ज्ञान १५ अज्ञान १६ दर्शन १७ द्रष्टि १० जोग १७ उपयोग २० गुणगणा २१ आहार २२ आहारनी इछा २३ किमादार २४ जीवभेद १५ वेद २६ कषाय 29 संज्ञा २० स्वकाय स्थिति २५ विरकाळ ३० चत्रन संख्या ३१ उपजवानी संख्या ३२ गति ३३ प्रगति ३४ संपदा ३५ देवद्वार ३६ संजति ३७ जराऊ ३८ परिग्रह ३० अल्प बहुल ४० संझी ने वळी ४१ प्रकीर्ण विगेरे एकतालीस द्वारोना संज्ञारवाना अर्थे संग्रह करीएबीए. Err पदक द्वार प्रारंनः दंमयते जीवा यस्मिन स दंमकः - जीवो जेने विषे काय बे तेने दंक कहीए. ए दमक चोवीश बे के जेमां सर्व संसारी जीवो परिभ्रमण करे बे. ते दंगक ना नाम तथा वाख्या निचे प्रमाणे. प्रथम नारकीनो एक दंक:- नारकी एटले - शुभ कर्मोदयवंत जीवोनुं वसवुं बे जेमां एवं जे स्था

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 210