Book Title: Chousath Ruddhi Poojan Vidhan
Author(s): Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ [३३] हम शरण तिहारीजी, भव भव सुखकारीजी । तातें हम धारी भक्ति हिरदा विषेंजी ॥१८॥ (दोहा) धेरै विक्रियऋद्धिधर मुनिनकी, कंठ मुनिस्वरूप को ध्यायकै, होवै बुद्धि गुणमाल । विशाल ||१९|| ॐ ह्रीं विक्रिया ऋद्धिप्राप्त सर्व मुनीश्वरेभ्योऽर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा । (सोरठा) होय विघन सब नाश, मंगल नितप्रति हो सदा । होय ऋद्धि परकाश, पूजन जो या विधि करै ॥ इत्याशीर्वादः । (इति तृतीय कोष्ठ पूजा)

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68