Book Title: Chousath Ruddhi Poojan Vidhan
Author(s): Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publisher: Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust

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Page 58
________________ [५५] (दोहा) सुखी होहु राजा प्रजा, मिटो सकल संताप । बढो धर्म जिनदेवको, श्री ऋषिराज प्रताप ॥ ॥ इत्याशीर्वादः॥ (इति सप्तम कोष्ठ पूजा) अष्टमकोष्ठे अक्षीणमहानसऋद्धिधारक मुनि पूजा ॥ स्थापना ॥ (अडिल्ल छन्द) अक्षयनिधिके दायकवायककर्मके, अक्षीण महानसऋद्धिधारमुनिवर्यके । आह्वाननसंस्थापन मम सन्निहितो करो, संवौषट् ठः ठः वषट्वारत्रयउच्चरो ॥ ॐ ह्रीं अक्षीण-महानस-ऋद्धि-धारक-सर्वमुनीश्वर समूह ! अत्रावतरावतर । संवौषट् आह्वानम् । ॐ ह्रीं अक्षीण-महानस-ऋद्धि-धारक-सर्वमुनीश्वर समूह ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ! ठः ठः स्थापनम् । ॐ ह्रीं अक्षीण-महानस-ऋद्धि-धारक-सर्वमुनीश्वर समूह ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणम् । - अष्टक (गीता छन्द) हिमवन समुद्भव नीर शीतल रतनभुंग भरावही । जन्म जर अर मृत्यु नाशन क्षपक चरण चढावही ॥

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