Book Title: Charcha Shatak
Author(s): Dyanatray, Nathuram Premi
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 116
________________ (१०३) नाम ऋजु विमान है । इस विमानकी चारों दिशाओंमें बासठ बासठ श्रेणीबद्ध विमान हैं अर्थात् सब दिशाओंके मिलाकर २४८ विमान हुए । यह एक पटलका वर्णन हुआ। इसके ऊपर जो शेष ६२ पटल हैं, उनके विमानोंकी संख्या ऊपर ऊपर क्रमसे चार चार कम होती गई है अर्थात् दूसरे पटलमें २४४, तीसरेमें २४०, और चौथेमें २३६ इस क्रमसे है । अन्तके सर्वार्थसिद्धि पटलमें केवल चार विमान हैं और उसके नीचेके सम्पूर्ण पटलोंके सम्पूर्ण विमानोंकी संख्या ७८१६ है । वे असंख्यात योजनके विस्तारवाले हैं । अन्तके सर्वार्थसिद्धि पटलसे १२ योजनकी ऊंचाईपर अनन्त सिद्ध भगवान् विराजमान हैं, उनको ध्यानमें लाना चाहिये अर्थात् उनका निरन्तर ध्यान करना चाहिये। लवणोदधिके १००८ कलशोंका वर्णन । लौनोदधि बीच चारि दिसामाहिं चारि कूप कहै हैं मृदंग जेम तिनिकौ प्रमान है । पेट और ऊंचे एक एक लाख जोजनके, . नीचें औ मुख ताकौ दस हजार मान है। चारि विदिसामैं चारि पेट और ऊंचे दस, हजार एक नीचे औ मुखको बखान है।

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