Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Author(s): Devendrasuri
Publisher: Unknown

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Page 7
________________ देववंदन जाय अर्थसहित. S वीश छारें करीनें (सदस्सा के ) बे दजारनी ऊपर ( चन्सयरा के० ) चुम्मोतेर ( हुंति के० ) थाय ॥ ५ ॥ ( दारमादा के) ए द्वारनी गाथानं चार जाणवी ॥ चोवीश हारनां उत्तरभेदसदित यंत्रनी स्थापना. अंक मूलधारनां नाम. उत्तरभेदनी संख्या. सरवालो. १ नैषेधिकादिक दशत्रिकनुं द्वार ३० २ पांच निगम साचववानुं द्वार. ५ ३ देववदतां स्त्री पुरुषने नजा रहे बानी बे दिशाननुं द्वार. घन्य, मध्यमादित्रण श्रवग्र ‍ दनुं द्वार. ३ ५ त्रण प्रकारें वंदना करवी तेनुं द्वार. ३ ६ प्रणिपात पंचांगें करवानुं द्वार. १ ७ नमस्कार करवानुं द्वार. G नबकार प्रमुख नवसूत्रानां व र्णोनुं द्वार. ए नवकार प्रमुख नव सूत्रानां पदसंख्यानुं छार. १ ३० ३५ १८१ ३ ४० ४३ କ୍ଷ ४५ १६४७ १६२ १८७३

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