Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit
Author(s): Devendrasuri
Publisher: Unknown
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देववंदन नाष्य अर्थसहित. १३ वचन अने कायाना योगें करी त्रण त्रण निसिहो कहेवी, अथवा दरेक वखतें एकज निसिही क हेवी. परंतु घर संबंधी देरा संबंधी अने जिनपू जा संबंधी व्यापार निषेध करीयें बैयें, एम सम जीने देरासरमांपेसतांजत्रणे निसिही कही देवी नहीं.ए तात्पर्य .ए प्रथम निसिहीत्रिक कहूंगा ___ हवे बीजुं प्रदक्षिणात्रिकनुं नाम प्रथम सामा न्ये उछी गाथामां कहेलुं , तेनो प्रगट अर्थ ने, माटें जूई वखाण्यु नश्री. तथापि चैत्यना दक्षिण नागथी त्रण प्रदक्षिणा देवी, एटले संसारना न धमण टालवा रूप नावनायें श्रीप्रतिमाजी म हाराजनी जमणी बाजुश्री अनुक्रमें ज्ञान, दर्शन अने चारित्रनी आराधना रूप त्रण फेरा फरवा. ए बीजुं प्रदक्षणात्रिक कह्यु..
हवे त्रीजुं प्रणामत्रिक कहे . अंजलि-बंधो अहो, णन अपंचंगन अतिपणामा ॥ सवत्र वा तिवारं, सिरा इ-नमणे पणाम-तियं ॥ ए॥

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