Book Title: Chaityavandanadi Bhashya Trayam Balavbodh Sahit Author(s): Devendrasuri Publisher: Unknown View full book textPage 3
________________ देववंदन नाप्य अर्थसहित. ३ ने, तो शहां चैत्यशब्दं श्रीअरिहंत तथा श्रीअरि हंतनी प्रतिमा तेनी जे वंदना करवी, ते विधि स दित करवी ते विधि कहीश ॥ इति ॥१॥ ___ हवे ते चैत्यवंदननो विधि मूल तो चोवीश. हारे सचवाय , ते चोवीशना वली उत्तर नेद २०७४ थाय . माटें चोवीश हारनां नाम, 4 त्येक झरना उत्तर नेदनी संख्या सहित चार गाथायें करी कदे . दहतिग अहिगम-पणगं, उदिसि तिहु गाह तिहा न वंदणया।पणिवाय-नमुक्कारा, वमा सोल-सब-सीयाला ॥३॥गसी सयं तु पया, सग-निनसंपयानपण दंमा ॥ बार अहिगार चनवं, दाणऊ सरणिका चन्ह जिणा ॥३॥ चनरो यु निमित्तष्ठ, बारह हेऊ सोल आगारा ॥ गुण वीस दोसठस्स, ग्ग माण युतं च सगवेलाan दस आसायण चान, सब्जे चिश्वंदणारठाPage Navigation
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