Book Title: Bruhat Puja Aur Laghu Puja
Author(s): Tribhuvandas Amarchand Salot
Publisher: Jograjji Chandmallji Vaid
View full book text
________________
११
का० स० ॥ ९ ॥ चोथी पूजा धूप सुगंधित । घूप खेयां पूरे आस । करण कहे शुभ सद्गुरु म्हारा । दीजो सुमति सुवास हो - भविका० स० ॥ १० ॥
| काव्यम् ।
वितीर्णदिक्सुसौरभम् प्रकीर्णमञ्जधूमकम् दशाङ्गधूपमुज्ज्वलं निवेदयामि रोचकम् ॥ १ ॥ ह्री श्री.... धूपं निर्वपामि तें स्वाहा. इति चतुर्थधूपपूजा समाप्ता.
अथ पञ्चमदीपकपूजा प्रारम्भ. दूहा.
सुरभि घृत संयुक्तसें । वाती सूत्र नवीन ज्योतहीं दीपक अघ हरे । फैले सुयश भुव तीन ॥ १ ॥
ढाल पांचवी. रखता रागेण गीयते.
सुगुरु पद आज में पायो । भांज्यो मिथ्यात्व मोमनको । कलपतरु कलिकालमें देवा । गुरुसम और ना कोइ भाजे मिथ्यात्व चरणनसें । क्षमा सुघ सहजमें होइ ॥ सुगुरु ॥ १ ॥ ओएश गढ बीच लघु श्रावक करै । पूजा जिनंदकीं जी। पूरव कक्कसूरि कहि भाख्या । उप

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28