Book Title: Bruhat Puja Aur Laghu Puja
Author(s): Tribhuvandas Amarchand Salot
Publisher: Jograjji Chandmallji Vaid
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५३ उत्तम सा || जय || ३ || केशि गणधर पाट उजारा । रत्नप्रभ सूरि नाम तुम्हारा ॥ जय० ॥ ४ ॥ देवी चामुंडा समकित कीनी । सुगुरु चरण रज लुलु लुल लीनी ॥ जय० ॥ ५ ॥ पद्मा - अम्बा यक्षादिका देवी | सुर मुनि भूपति करत है सेवा ॥ जय० ॥ ६॥ इक अवतारी कारज सिद्धा । बारमा सुर सुख भोगें न चिन्ता ॥ जय० ॥ || जो कोइ आरति करे करावे । मन इच्छा फल तुरते पावे ॥ जय० ।। ८ ।। करण कहत शुभ सद्गुरु नामी । तुम पद सेवा दीजै स्वामी ॥ जय० ॥ ९ ॥
॥ इति दादाजी रत्नप्रभसूरीणां आरात्रिका संपूर्णा ॥
सुगुरु महाराजकी लघुपूजा प्रारंभ.
जलपूजा.
शुभस्वर्धुनीवारिपुण्य प्रवाह - प्रमृष्ठे प्रकृष्टे सदा लोकजुष्टे । सदा पापापापदेऽहं गुरुणां पदाब्जे भजे मङ्गलाय ॥ १ ॥
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ँ ही श्री श्रीरत्नप्रभसूरीश्वराय, जन्मजरामृत्युनिवारणाय, जलं जामहे ॥ स्वाहा ॥ १ ॥
चन्दनपूजा. ॥२॥
मलयचन्दन कुङ्कुमवारिणा । निखिलजाड्यरुजातपहारिणा बहुलगन्धपरम्परया युतं । रचितमर्प्यत ईशपदाम्बुजे ॥२॥ ॐ ह्रीं श्रीं ....... चन्दनं यजामहे | स्वाहा ॥ २ ॥
पूष्पपूजा. ॥३॥
मालती पाटली चैव केतकीं यहतद्भव विकासामोदकुसुमसन्ततिं निर्वपामि ते ॥ ३ ॥
७
ँ ही श्री .... पुष्पं यजामहे स्वाहा ॥ ३ ॥

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