Book Title: Bruhat Puja Aur Laghu Puja
Author(s): Tribhuvandas Amarchand Salot
Publisher: Jograjji Chandmallji Vaid

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Page 28
________________ बांचीए बांचीए प्राचीन तीर्थ ओशीयाजी. ओसवाल भाइओंकी उत्पत्तिका स्थान ओशीया नगरी पूर्वका ठमें महा समृद्धिसे भरपूर थी जहाँपर देव प्रभ के मंदिर और सचिया देवी का मंदीर बहुत :और बड़ा प्रभावशाली त्रिखंड पृथ्वीमें भव्यतासें / यह तीर्थ फलौधी निवासी श्री संघकी देखरेख बहुत जैन भाइओंकी सहायतासें देवविमान तुल्य वि हो रहा है. यह तीर्थकी यात्रा करने लायक है. ऐसे किक और बडाही चात्कारीक दीय तीर्थ भूमंडल। चित् दृष्टिगोचर होते है. महान् पुन्यके उदय होने / है तीर्थकी यात्रा करनेके लोर मनुष्य भाग्यशाली है। जोधपुरसे ओशीया और वहांसे फलौधि तक रेल का है, इसीसे यात्रा करनेको जोसकी इच्छा होवे उसको भी प्रकारकी तकलीफ नही है. निवेदक. शेठ जोगराजजी बेद फलोधी. ॐ अहम् नमः / श्री जयविजयजी ज्ञान मन्दिर

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