Book Title: Bruhat Puja Aur Laghu Puja
Author(s): Tribhuvandas Amarchand Salot
Publisher: Jograjji Chandmallji Vaid

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ १८ रोग अति भारी । ता पर कोप्या देव विकारी । दुःखि भये सबहि नर नारी । भागके जान बचाने वाले ॥ धन० ॥ २ ॥ सुनके सिद्धसूरिका नाम । चलके आये संघ तमाम | बिनति वंदन करे अति गाम । भवदधि पार लगाने वाले ॥ धन० ॥ ३ ॥ सुगुरु कहे संघ क्युं धरावे। इति उपद्रव तुरत नसावे । चइत्ता भार पाठ बतावे । तत्क्षण फंद हटाने वाले ॥ धन० ॥४॥ सद्गुरु वासक्षेप जिहां डाले । रोग उपद्रव तुरत पुलावे । खुस हो के श्रीसंघ घर जावै । गुरुसें नेह बढानें वाले ॥ धन० ॥ ५ ॥ पुनम दिवसे संथारा करके । उपजे सुरपुर चोथे विचरके। संघ करे भक्ति बहु घरकें । सुभकुं दरस दिखाने वाले ॥ धन० ॥ ६ ॥ ॥ काव्यम् ॥ सकलभुवनलज्जावारणं सद्दशाकं मद्गुरुचिरसुगन्धं कुन्दचन्द्रप्रकाशम् विमलशुचि सुधौतं प्रांशु दीर्घं सुवर्ण वसनमिदममौलं सुन्दरं ते ददामि ॥ १ ॥ वस्त्रं निर्वपामि ते स्वाहा. ॥ इति नवमी वस्त्रपूजा समाप्ता ॥ ँ हाँ श्रीँ ....

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28