Book Title: Bruhat Puja Aur Laghu Puja
Author(s): Tribhuvandas Amarchand Salot
Publisher: Jograjji Chandmallji Vaid
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अष्टम भक्तकी करी तपस्या। पद्मा साचल आइ । सरिता तटपे मूर्ति बताइ । सर्व धात सुखदाइजी ॥ स०॥६। श्री ऋषहेसर स्तुति करके । काढी मूर्ति पयाल । तिनका स्नान कराके सद्गुरु । छांय नगरमें हालजी ॥ स० ॥ ७॥ भजा उपद्रव हाल मारिका । खुसी हुए नरनारी । मुलतान शहेरमें महिमा केलि। जैन धर्मकी भारिजी ॥स०॥ ८॥ चतु मुनि पाट सूरि युगराया। सिद्धसूरि महाराज लाहोर अंदर सब जन पूजै। सिद्धगुरु सुभ आजजी ॥ स०॥९॥
काव्यम्. नानावाद्यनिनादकैः सुखकरैर्गन्धर्वलीलायितम् सौधैर्लेपविशेषकैस्सुरभिभिर्वारिप्रवाहैर्मुदा सद्वस्त्रादिविचित्ररत्नराचितैः सौगन्धसन्दोहकै युक्तं श्रीगृहमीदृशं तदुपरिच्छत्रध्वजे स्थापये ॥१॥ ॐ ह्री श्री. ध्वजां निर्वपामि ते स्वाहा इति इति दशमी ध्वजपूजा समाप्ता ॥
कलश.
( रागधन्यासरी) सुगुरु तेरो तेज दिवाकर छाजे । पार्श्व प्रभुके निज सन्तानी। रत्नप्रभु सूरिराज । तिनके गूण

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