Book Title: Brahamacharya Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Mahavideh Foundation View full book textPage 7
________________ (सूचिपृष्ठ पेज नं. समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (पूर्वार्ध) खंड : १ विषय का स्वरूप, ज्ञानी की दृष्टि से १. विश्लेषण, विषय के स्वरूप का २. विकारों से विमुक्ति की ओर... ३. माहात्म्य, ब्रह्मचर्य का खंड : २ 'ब्याहना ही नहीं' वाले निश्चयी के लिए राह १. विषय से, किस समझदारी से छूटा जाए? २. दृष्टि उखड़े, 'थ्री विजन' से ३. दृढ़ निश्चय, पहुँचाए पार ४. विषय विचार, परेशान करें तब... ५. नहीं चलते, मन के कहने के अनुसार ६. 'खुद' खुद को डाँटना ७. पश्चाताप सहित के प्रतिक्रमण ८. स्पर्श सुख की भ्रामक मान्यता ९. 'फाइल' के प्रति कड़ाई १०. विषयी वर्तन? तो डिसमिस ११. सेफसाइड तक की बाड़ १२. तितिक्षा के तप से तपाइए मन-देह १३. न हो असार, पुद्गलसार १४. ब्रह्मचर्य से प्राप्ति ब्रह्मांड के आनंद की १५. 'विषय' के सामने 'विज्ञान' की जागृति १६. फिसलनेवालों को उठाकर दौड़ाए... १७. अंतिम जन्म में भी ब्रह्मचर्य तो आवश्यक १८. दादाजी दें पुष्टि, आप्तपुत्रियों को समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध) खंड:१ परिणीतों के लिए ब्रह्मचर्य की चाबियाँ १. विषय नहीं परंतु निडरता विष २. दृष्टि दोष के जोखिम ३. बिना हक़ की गुनहगारी ४. एक पत्नीव्रत का अर्थ ही ब्रह्मचर्य ५. बिना हक़ का विषयभोग, नर्क का कारण ६. विषय बंद वहाँ दख़ल बंद ७. विषय वह पाशवता ही! ८. ब्रह्मचर्य की क़ीमत, स्पष्ट वेदन-आत्मसुख ९. लीजिए व्रत का ट्रायल १०. आलोचना से ही जोखिम टलें, व्रत भंग के ११. चारित्र का प्रभाव खंड : २ आत्मजागृति से ब्रह्मचर्य का मार्ग १. विषयी स्पंदन, मात्र जोखिम २. विषय भूख की भयानकता ३. विषय सुख में दावे अनंत ४. विषय भोग, नहीं निकाली ५. संसार वृक्ष का मूल, विषय ६. आत्मा, अकर्ता-अभोक्ता ७. आकर्षण-विकर्षण का सिद्धांत ८. 'वैज्ञानिक गाईड' ब्रह्मचर्य के लिए स्पष्टता इस पुस्तक में 'आत्मा' शब्द को संस्कृत और गुजराती भाषा की तरह पुल्लिंग में प्रयोग किया गया है। जहाँ जहाँ पर चंद्रेश या चंदूलाल नाम का प्रयोग किया गया है, वहाँ | वहाँ पर पाठक स्वयं का नाम समझकर पठन करें।Page Navigation
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