Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 8
________________ शताब्दी अध्यात्म की नवीनता की सार्थकता नया प्रस्थान जीवन के प्रश्न सार्थकता का प्रश्न जीवन के स्तर - (१) जीवन के स्तर - (२) जीवन के स्तर - (३) सूक्ष्म जगत के नियम स्थूल से सूक्ष्म की ओर-(१) स्थूल से सूक्ष्म की ओर-(२) स्थूल की समस्या प्रेक्षाध्यान- (१) प्रेक्षाध्यान- (२) प्रेक्षाध्यान का ध्येय प्रेक्षाध्यान की तीन भूमिकाएं - (१) प्रेक्षाध्यान की कसौटियां अनुक्रम प्रेक्षा और कर्म सिद्धान्त ध्यान का उद्देश्य ध्यान की अवस्थाएं १७ १८ १६ २० २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २६ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ध्यान का क्षेत्र ध्यान की दिशा ध्यान की तीन शक्तियां ३५ ३६ ध्यान 1- वस्तु - (१) ध्यान ध्यान के साधन ध्यान और कल्पना ध्यान के परिणाम - (१) ध्यान के परिणाम - (२) ध्यानसाधक की कसौटियां न-वस्तु - (२ ) सूक्ष्म ध्यान- (१) सूक्ष्म ध्यान - (२) उपसंपदा भावक्रिया - (१) भावक्रिया- (२) भावक्रिया - (३) भावक्रिया - (४) भावक्रिया - (५) प्रतिक्रिया विरति मैत्री मिताहार मितभाषण मौन भीतर की ओर Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ३७ ३८ ३६ ४० ४१ ४२ ४३ ४४ ४५ ४६ ४७ ४८ ४६ ५० ५१ ५२ ५३ ५४ ५५ ५६ 2 ५७ ५८ ५६

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