Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 6
________________ ka emamaAami r mwam- mmmmmar- we प्रस्तुति बाहर दरवाजा है और भीतर कमरा है। दरवाजा जाने आने के लिए है, रहने के लिए नहीं। दरवाजा जरूरी है और कमरा भी जरूरी है। हम दरवाजे पर अटक न जाएं। भीतर जाकर सुख से बैठे और आराम करें। इस पुस्तक का सारांश इतना ही है। प्रस्तुत पुस्तक में भीतर जाने और भीतर रहने की कुछ विधियों का निर्देश है। प्रेक्षाध्यान के विषय में अनेक ग्रंथ प्रकाशित हुए हैं। पर इसमें कुछ वह है, जो शेष सब ग्रंथों में नहीं है इसलिए यह पुस्तक प्रेक्षाध्यान का अभ्यास करने वाले और कराने वाले दोनों के लिए प्रकाश, पथ और पथदर्शन का काम करेगी। - -rememumaunia - -- - Lanwa manant .......( भीतर की ओर) TRA Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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