Book Title: Bhitar ki Aur
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 9
________________ که به س ه ر E & FREE F G 4. A & ! ६६ अर्हम्-(१) अर्हम्-(२) अर्हम्-(३) अर्हम्-(४) महाप्राण ध्वनि-(१) महाप्राण ध्वनि-(२) चतुरङ्ग कायोत्सर्ग कायोत्सर्ग की पाच भूमिकाए । कायोत्सर्ग-(१) कायोत्सर्ग-(२) कायोत्सर्ग-(३) कायोत्सर्ग-(४) कायोत्सर्ग-(५) कायोत्सर्ग-(६) कायोत्सर्ग-(७) कंठ का कायोत्सर्ग तनाव-(१) ७६ तनाव-(२) तनाव-(३) तनाव और कायोत्सर्ग ७६ अन्तर्यात्रा सुषुम्ना-(१) सुषुम्ना-(२) अन्तर्मुखता के नियम-(१) ८३ । अन्तर्मुखता के नियम-(२) ८४ ७० आत्मनिरीक्षण आत्मदर्शन आत्म-शोधन श्वास कैसे लें? श्वास के तीन रूप श्वास दर्शन की भूमिकाएं श्वास का आलम्बन दीर्घश्वास श्वास और एकाग्रता लयबद्ध श्वास श्वास : स्पर्श का अनुभव श्वास और श्वासप्राण रवास और रुदय समवृतिश्वास शरीर के रहस्य शरीर प्रशिक्षण प्रविधि विकास की पहली भूमिका १०१ चैतन्यकेन्द्र-(१) चैतन्यकेन्द्र-(२) चैतन्यकेन्द्र : अवस्थिति शक्तिकेन्द्र-(१) १०५ शक्तिकेन्द्र-(२) शक्तिकेन्द्र-(३) शक्ति केन्द्र के जागरण की प्रक्रिया-(१) १०८ Sav . ३ ४ ८० हैं (भीतर की ओर Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 386