Book Title: Bharatiya Shilpkala ke Vikas me Jain Shilpkala ka Yogadan Author(s): Shivkumar Namdev Publisher: Z_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf View full book textPage 8
________________ विलक्षण प्रतिमा संग्रहीत है । जिनके समीकरण के जैन धर्म का आस्तित्व पूर्व मौर्यकाल से लेकर आद्याविषय में विद्वानों में मतैक्य है। वधि निरंतर दृष्टिगोचर होता है। प्रतिहारों के पतन के पश्चात मालवा में परमारों उत्तरप्रदेश में मध्यकालीन जैन प्रतिमायें बहलता का राज्य स्थापित हआ । इनके समय में जैन धर्म से प्राप्त हुई है जो इस प्रदेश के विभिन्न संग्रहालयों में मालवा में अपने स्वणिम काल में था। भोजपुर से तीन देवालयों एवं यत्र-तत्र अवस्थित है । उत्तर प्रदेश के मील आशापूरी नामक गांव में शांतिनाथ की परमार- अधिकांश स्थलों से उपलब्ध जैन प्रतिमायें प्रयाग संग्रहाकालीन प्रतिमा है। निमाड़ के मैदान में ऊन नामक के लय में हैं, यहाँ संग्रहीत ऋषभनाथ की चुनार पाषाण अवशेषों में लगभग एक दर्जन मन्दिर परमार राजाओं से निर्मित प्रतिमा उल्लेखनीय है। संग्रहालय में स्थित की स्थापत्य कला के उत्तम नमुने हैं। केन्द्रीय संग्रहालय हल्के हरे रंग के आकर्षक प्रस्तर पर चतुर्विशतिइंदौर में परमार युगीन तीर्थ करों की लेखयुक्त प्रति- पट्ट उत्कीर्ण है । प्रतिमाओं का अंग विन्यास स्वाभाविक मायें हैं। है, यह 13वीं सदी की कृति है। पूर्व मध्य एवं मध्यकाल में जैन कलाकृतियाँ नगर सभा संग्रहालय के उद्यान कूप के निकट एक मध्यप्रदेश के विभिन्न भूभागों से उपलब्ध होती हैं। छोटे से छप्पर में अम्बिका देबी उत्कीर्ण है। इसका मुरैना के सिंहोनिया, पढावली, गुना के तिराही एवं परिकर न केवल जैन शिल्प स्थापत्य कला का समुज्जइन्दौर, पन्ना के टूडा ग्राम, सिवनी में घंसौर एवं वल प्रतीक है, अपितु भारतीय शिल्प स्थापत्य कला में बरहटा, ग्वालियर के निकट मुरार, नागौद एवं जसो जनों की मौलिक देन है। प्रतिमा का काल 12-13वीं के अतिरिक्त दक्षिण कौशल के अनेकों स्थल जैन शिल्प सदी के मध्य का ज्ञात होता है। उत्तरप्रदेश के विभिन्न कला से भरे पड़े हैं। मालव भूमि के साँची, धार, स्थलों से जैन यक्षी पदमावती की प्रतिमायें उपलब्ध दशपुर, बदनावर, कानवन, बड़नगर, उज्जैन, जावरा, हई हैं। बड़वानी आदि ऐसे कला केन्द्र हैं, यहाँ ब्राह्मण धर्म की प्रतिमाओं के साथ-साथ जैन मतियाँ संरक्षित हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के खुरवन्दोग्राम में भगवान महावीर की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट हो जाता है कि अति झाँसी जिले के चंदेरी में भगवान महावीर की लावव्यप्राध्यकाल से ही मध्यप्रदेश के विभिन्न भूभागों में मयी प्रतिमा आभा से परिपूर्ण है । इसके अतिरिक्त 32. मध्यप्रदेश में जैन धर्म एवं कला-शिवकुमार नामदेव, सन्मति संदेश, अप्रैल-मई 19751 33. जैन धर्म एवं उज्जयिनी-शिवकुमार नामदेव, सन्मति वाणी, जुलाई 19751 34. भारतीय जैन कला को मध्यप्रदेश की देन--शिवकुमार नामदेव, सन्मति वाणी, मई-जून 19751 35. खण्डहरों का वैभब-मुनि कांति सागर, फ. 232 एवं आगे। 36. खण्डहरों का वैभव-मुनि कांतिसागर पृष्ठ 250-253 1 37. उत्तर भारत में जैन यक्षी पदमावती का प्रतिमा निरूपण-मारुतिनंदन प्रसाद तिवारी, अनेकांत अगस्त 19741 १८८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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