Book Title: Bharatiya Shilpkala ke Vikas me Jain Shilpkala ka Yogadan
Author(s): Shivkumar Namdev
Publisher: Z_Tirthankar_Mahavir_Smruti_Granth_012001.pdf
View full book text
________________
कर्नाटक में गोम्मट की अनेक मूर्तियाँ हैं । चालुक्यों श्री पद्मप्रभु स्वामी की प्रतिमा है। इसी स्थल के एक के काल में निर्मित ई. सन् 650 की गोम्मट की एक मदिर में ऋषभनाथ की पांच प्रतिमायें हैं। जिनमें दो प्रतिमा बीजापुर जिले के बादामी में है । तलकाडु के गंग चौबीस तीर्थकरों की प्रतिमा परिसर युक्त हैं। राजाओं के शासन काल में गंग राजा रायमल्ल सत्य
उड़ीसा की खण्ड गिरि की नवमुनि एवं बारभुजी वाक्य के सेनापति व मन्त्री चामुण्डराज द्वारा वेलगोल
गुफाओं (8वीं-9वीं सदी) के सामूहिक अंकनों में भी में ई. सन 982 में स्थापित विश्व प्रसिद्ध गोम्मट मूर्ति
पार्श्वनाथ के साथ पदमावती आमूतित है। नवमुनि है। गोम्मट गिरी में भी 14 फुट ऊँची एक गोम्मट
गृफाओं में पार्श्व के साथ उत्कीणित द्विभूजी यक्षी मूर्ति है । इसके अतिरिक्त होसकोटे हल्ली, कार्कल एवं
ललितमुद्रा में पदमासन पर विराजमान है । 40 बारभुजी वेणुर में पैतीस फुट ऊँची प्रतिमा है ।
गुफा में पार्श्व के साथ पांच सर्पफणों से मंडित अष्टभुजी बंगाल48 में जैन धर्म का आस्तित्व प्राचीन काल से पद्मावती है। पुरी जिले से उपलब्ध आदिनाथ की ही रहा है। यहाँ के धरापात के एक प्रतिमा विहीन एक स्थानक प्रतिमा इंडियन म्यूजियम कलकत्ता की देवालय के तीनों ओर के ताकों में विशाल प्रतिमायें निधि है। 60 विराजित थीं जिनमें पृष्ठ भाग वाली में ऋषमदेव,
तामिलनाडु से भी जैन धर्म से सम्बंधित अनेकों वामपक्ष से प्रदक्षिणा करते प्रथम शांतिनाथ और अन्त
प्रतिमायें उपलब्ध हई हैं। कलगुमलाई से चतुर्भुजी में तीसरे आले में जैनेतर मूर्तियाँ हैं। ये सम्भवतः 8वीं
षदमावती को ललित मुद्रा में (10 वीं-11 वीं सदी) सदी की हैं। बहुलारा नामक स्थल के एक मन्दिर के
मूर्ति प्राप्त हुई है। शीर्ष भाग में सर्पफण से मंडित सामने वेदी पर तीन प्रतिमायें हैं । मध्यवर्ती प्रतिमा
यक्षी, फल, सर्प, अंकुश एवं पाश धारण करती हैं । 1 भगवान पार्श्वनाथ की हैं जो अष्ट प्रतिहार्य और
मदुरा तामिलनाडु का महत्वपूर्ण नगर है। यहां पर धरणेन्द्र-पदमावती से युक्त है। भगवान पार्श्वनाथ की
जैन संस्कृति की गौरव गरिमा में अभिवद्धि करने वाली प्रतिमा के निम्न भाग में धरणेन्द्र-पदमावती है और
कलात्मक सामग्री का प्रचुर परिमाण विद्यमान हैं। मति निर्माणक दम्पत्ति भी है। बांकुडा जिले के ही हाडमासरा ग्राम के जंगल में एक पार्श्वनाथ प्रतिमा है। बिहार प्रदेश से उपलब्ध अनेकों प्रतिमायें पटना अंबिकानगर में स्थित अंबिका देवी के मंदिर के पृष्ठ संग्रहालय में संरक्षित हैं। संग्रहालय में चौसा के भाग में अवस्थित एक जैन मदिर में सपरिकर ऋषभ- शाहाबाद से प्राप्त जैन धातु मूर्तियां सुरक्षित हैं । नाथ की प्रतिमा है। पाकबेडरा में अनेकों प्रतिमायें ऋषभनाथ की प्रतिमा कायोत्सर्ग स्थिति में कंधे पर संरक्षित हैं। इनमें 7 फुट ऊँची खड़गासन स्थित बिखरे बाल तथा लंबी भुजाओं के साथ बनाई गई थीं।
47. कर्नाटक की गोम्मट मूर्तियां-आचार्य पं. के. भुजबल शास्त्री, अनेकांत, अगस्त 1972 । 48. बंगाल के जैन पुरातत्व की शोध में पांच दिन-भंवरलाल नाहटा, अनेकांत, जुलाई-अगस्त 19731 49 शासन देवीज इन द खण्डगिरि केबस-मित्रा देवल, जर्नल एशियाटिक सोसायटी (बंगाल) खण्ट ।
अंक 2, 1959, 4.-139। 50. स्टेडीज इन जैन आर्ट-यू. पी. शाह, आकृति 36 । 51. जैनिज्म इन साउथ इन्डिया-पी. बी. देसाई, प. 651
१६०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org.in