Book Title: Bharatiya Jyotish Author(s): Nemichandra Shastri Publisher: Bharatiya GyanpithPage 11
________________ मध्यम ग्रह बनाने का नियम अहर्गण बनाने का नियम मध्यम सूर्य, शुक्र और बुधसाधन विधि और उदाहरण मध्यम चन्द्र साधन मध्यम मंगल साधन मध्यम गुरु साधन मध्यम शनि साधन मध्यम राहु साधन भौमादि ग्रहों का शीघ्रोच्च बनाने का नियम नैसर्गिकबलसाधन दृग्बल-साधन और उदाहरण ग्रहों के बलाबल का निर्णय अष्टवर्ग विचार रवि, चन्द्रादि की रेखाएँ अष्टवर्गीक फल २३८ जन्मसमय में मेषादि द्वादश राशियों २३८ में नवग्रहों का फल २५८ द्वादश भावों में रहनेवाले नवग्रहों २३९ का फल २६१ २३९ उच्चराशिगत ग्रहों का फल २६६ २३९ मूल त्रिकोण राशि में गये हुए ग्रहों २३९ का फल २६६ २३९ स्वक्षेत्रगत ग्रहों का फल २६६ २३९ मित्रक्षेत्रगत ग्रहों का फल २६७ शत्रुक्षेत्रगत ग्रहों का फल २६७ २४० नीच राशिगत ग्रहों का फल २६७ २४१ नवग्रहों की दृष्टि का फल २६७ २४१ ग्रहों की युति का फल २७२ २४२ तीन ग्रहों की युति का फल २७३ २४३ चार ग्रहों की युति का फल २७४ २४३ पंचग्रह योग-फल २७५ २४७ षड्ग्रहयोग फल २७६ द्वादशभाव विचार २७६ लग्न विचार २७६ राशि संज्ञाएँ २७६ २४९ उपर्युक्त संज्ञाओं पर से शारीरिक स्थिति ज्ञात करने के नियम । २७७ २५१ शरीर के अंगों का विचार २७८ २५२ कालपुरुष २७९ २५२ जन्मसमय के वातावरण का परिज्ञान २८१ अरिष्ट विचार २८१ २५२ गण्ड-अरिष्ट २८३ २५३ अरिष्ट का विशेष विचार २८४-२९१ २५४ अरिष्टभंग योग जारज योग २५४ बधिर योग २९३ मूक योग २९३ २५५ नेत्ररोगी योग २९३ २५७ सुख विचार २९५ तृतीयाध्याय जन्मकुण्डली का फलादेश सूर्यादि नवग्रहों के स्वरूप सूर्यादि ग्रहों के द्वारा विचारणीय विषय द्वादशभाव के कारक ग्रह बल-वृद्धि विचार फलादेश के लिए उपयोगी ग्रहों के छह प्रकार के बल ग्रहों का स्थान बल ग्रहों की दृष्टि ग्रहों के उच्च और मूलत्रिकोण का विचार द्वादशभावों-स्थानों का परिचय, विचारणीय बातें आदि फल प्रतिपादन के कतिपय नियम २९१ २९२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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