Book Title: Bharatiya Achar Darshan Part 02 Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 5
________________ -3.. प्रकाशकीय प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर (राजस्थान) के द्वारा जैन, बौद्ध और हिन्दूधर्म के सन्दर्भ में भारतीय आचार-दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन, द्वितीय भाग (व्यवहारपक्ष)' नामक पुस्तक प्रकाशित करते हुए हमें अतीव प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। आज के युग में जिस सामाजिक-चेतना, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व की आवश्यकता है, उसके लिए धर्मों का समन्वयात्मक दृष्टि से निष्पक्ष तुलनात्मक अध्ययन अपेक्षित है, ताकि धर्मों के बीच बढ़ती हुई खाई को पाटा जा सके और प्रत्येक धर्म के वास्तविक स्वरूप का बोध हो सके। इस दृष्टिबिन्दुको लक्ष्य में रखकर पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पूर्व निदेशक एवं भारतीय धर्म-दर्शन के प्रमुख विद्वान् डॉ. सागरमल जैन ने जैन, बौद्ध और गीता के आचार-दर्शनों पर एक बृहद्काय शोध-प्रबन्ध आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व लिखाथा। उसी के व्यावहारिक-पक्ष से सम्बन्धित अध्यायों से प्रस्तुत ग्रन्थकी सामग्रीका प्रणयन किया गया है। इस भाग में समत्वयोग, त्रिविध साधना मार्ग, सामाजिक-नैतिकता, गृहस्थ-धर्म, श्रमण-धर्म, आध्यात्मिक विकास-यात्रा आदि विषयों पर विद्वान् लेखक ने तुलनात्मक-दृष्टि से विस्तार से विचार किया है। लेखक की दृष्टि निष्पक्ष, उदार, संतुलित एवं समन्वयात्मक है। आशा है, विद्वत्जन उनके इस व्यापक अध्ययन से लाभान्वित होंगे। प्राकृत भारती द्वारा इसके पूर्व भी भारतीय धर्म, आचारशास्त्र एवं प्राकृत भाषा के अनेक ग्रन्थों का प्रकाशन हो चुका है, उसी क्रम में यह उसका अग्रिम प्रकाशन है। इसके प्रकाशन में हमें विभिन्न लोगों का विविध रूपों में जो सहयोग मिला है, उसके लिए हम उन सबके आभारी हैं। आकृति ऑफसेट, उज्जैन ने इसके मुद्रण-कार्य को सुन्दर एवं कलापूर्ण ढंग से पूर्ण किया, एतदर्थ हम उनके भी आभारी हैं। देवेन्द्रराज मेहता संस्थापक प्राकृत भारती अकादमी जयपुर (राजस्थान) नरेन्द्र जैन सचिव प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर (म.प्र.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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