Book Title: Bhagwati sutram Part 02
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 7
________________ वाणं 'पुच्छा, गोमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-पजत्तगअसुरकुमार०अपज्जत्तगअसुर०, एवं जाव धणियकुमारा पज्जन्तगा अपज्जन्तगा य, एवं एएणं अभिलावेणं दुयएणं भेदेणं पिसाया य जाव गंधवा, चंदा जाव ताराविमाणा०, सोहम्मकप्पोवगा जाव अच्चुओ, हिट्टिमहिट्ठिमगेविज्जकप्पातीय जाव उवरिमउवरिमगेविज्ज०, विजयअणुत्तरो० जाव अपराजिय० सङ्घट्टसिद्ध कप्पातीयपुच्छा, गोयमा ! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा - पलत्तसवसिद्धअणुत्तरो० अपज्जन्तगसङ्घट्ट जाव परिणयावि, २ दंडगा ॥ जे अपजत्ता सुहमपुढवीकाइयएगिंदियपयोगपरिणया ते ओरालियतेया कम्मग सरीरप्पयोगपरिणया जे पज्जन्त्ता सुहम० जाव परिणया ते ओरालि| यतेयाकम्मगसरीरप्पयोगपरिणया एवं जाव चउरिंदिया पज्जत्ता, नवरं जे पज्जत्तबादरवाङकाइयए गिंदिय पयोगपरिणया ते ओरालियवेडवियतेयाकम्मसरीर जाव परिणता, सेसं तं चेव, जे अपजत्तरयणप्पभापुढविनेरइय पंचिंदियपयोगपरिणया ते वेउधियतेयाकम्मसरीरप्पयोगपरिणया, एवं पज्जत्तयावि, एवं जाव अहेसत्तमा । जे अपज्जत्तगसंमुच्छिमजलयर जावपरिणया ते ओरालियतेयाक म्मासरीर जाव परिणया एवं पज्जरागावि, गन्भवक्कंतिया अपज्जत्तया एवं चैव पज्जन्त्तयाणं एवं चेव नवरं सरीरगाणि चत्तारि जहा बादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं, एवं जहा जलचरेसु चत्तारि आलावगा भणिया एवं चउप्पयउरपरिसप्पभुयपरिसप्पखहयरेसुवि चत्तारि आलावगा भाणियवा । जे संमुच्छिममणुस्सपंचिंदियपयोगपरिणया ते ओरालियतेयाकम्मासरीर जाव परिणया, एवं गन्भवक्कतियावि अपज्जन्तगावि पज्जत्तगावि एवं चेव, नवरं सरीरगाणि Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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