Book Title: Bhagwati sutram Part 02 Author(s): Abhaydevsuri, Publisher: Agamoday Samiti View full book textPage 8
________________ ८ शतके उद्देशः१ प्रायोगिक परिणामः सू ३१० व्याख्या पंच भाणियवाणि, जे अपजत्ता असुरकुमारभवणवासि जहा नेरइया तहेव एवं पज्जत्तगावि, एवं दुयप्रज्ञप्तिः एणं भेदेणं जाव थणियकुमारा एवं पिसाया जाव गंधव्वा चंदा जाव ताराविमाणा, सोहम्मो कप्पो जाव अभयदेवी- अचुओ हेट्ठिम २ गेवेजजावउवरिम २ गेवेज विजयअणुत्तरोववाइए जाव सचट्ठसिद्धअणु० एकेकेणं दुयओ यावृत्तिः१ भेदो भाणियवो जाव जे पजत्तसबट्टसिद्धअणुत्तरोववाइया जाव परिणया ते वेउवियतेयाकम्मासरीरपयो॥३०॥ गपरिणया, दंडगा ३ ॥ जे अपज्जत्ता सुहुमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणता ते फासिंदियपयोगपरिणया जे पज्जत्ता सुहुमपुढविकाइया एवं चेव, जे अपज्जत्ता बादरपुढविक्काइया एवं चेव, एवं पजत्तगावि, एवं चउक्कएणं भेदेणं जाव वणस्सइकाइया, जे अपज्जत्ता बेइंदियपयोगपरिणया ते जिभिदियफा. सिंदियपयोगपरिणया जे पजत्ता बेइंदिया एवं चेव, एवं जाव चरिंदिया नवरं एकेकं इंदियं बढयवं जाव अपज्जत्ता रयणप्पभापुढविनेरइया पंचिंदियपयोगपरिणया ते सोइंदियचक्खिदियघाणिंदियजिभिदियफासिदियपयोगपरिणया एवं पज्जत्तगावि, एवं सत्वे भाणियवा, तिरिक्खजोणियमणुस्सदेवा जाव जे |पज्जत्ता सवट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय जाव परिणया ते सोइंदियचक्खिदिय जाव परिणया ४॥ जे अपज्जत्ता सुहमपुढविकाइयएगिंदियओरालियतेयकम्मासरीरप्पयोगपरिणया ते फासिंदिपयोगपरिणया जे पज्जत्ता 8 सुहुम० एवं चेव बादर० अपज्जत्ता एवं चेव, एवं पज्जत्तगावि, एवं एएणं अभिलावेणं जस्स जइंदियाणि द सरीराणि य ताणि भाणियवाणि जाव जेय पज्जत्ता सबसिडअणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिंदियवेउवियतेया-५ ॥३३०॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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