Book Title: Bhagwati sutram Part 02
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
View full book text
________________
८.शतके
व्याख्या- |४||जाव जे संठाणओआयतसंठाणपरिणयाते वन्नओकालवनपरिणयाविजाव लुक्खफासपरिणयावि(सन३१२॥ प्रज्ञप्तिः । मिश्रपरिणतेष्वप्येत एव नव दण्डका इति ॥ अथ विश्रसापरिणतपुद्गलांश्चिन्तयति-'वीससापरिणया 'मित्यादि.
उद्देशः१ अभयदेवीएवं जहा पन्नवणापए'त्ति तत्रैवमिदं सूत्रं-'जे रसपरिणया ते पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-तित्तरसपरिणया एवं कडुय०
| मिश्रविश्रयावृत्तिः१
| सापरिणाकसाय अंबिल० महुररसपरिणया, जे फासपरिणया ते अट्टविहा प० तं०-कक्खडफासपरिणया एवं मउय. गरुय.
मौसू३११॥३२॥ लहुय० सीय. उसिण. निद्ध लुक्खफासपरिणया य' इत्यादि । अथैकं पुद्गलद्रव्यमाश्रित्य परिणामं चिन्तयन्नाह
३१२एकद्रएगे भंते ! दवे किं पयोगपरिणए मीसापरिणए वीससापरिणए? , गोयमा ! पयोगपरिणए वा मीसाप- व्यपरिणारिणए वा वीससापरिणए वा । जइ पयोगपरिणए किं मणप्पयोगपरिणए वइप्पयोगपरिणए कायप्पयोगप- मासू३१३ |रिणए ?, गोयमा! मणप्पयोगपरिणए वा वइप्पयोगपरिणए वा कायप्पओगपरिणए वा, जइ मणप्पओग
परिणए किं सच्चमणप्पओगपरिणए मोसमणप्पयोग. सचामोसमणप्पयो० असच्चामोसमणप्पयो०१, गोय-10 ४ मा ! सचमणप्पयोगपरिणए. मोसमणप्पयोग सच्चामोसमणप्प० असचामोसमणप्प०, जह सचमणप्पओ-18 गप० किं आरंभसचमणप्पयो० अणारंभसच्चमणप्पयोगपरि० सारंभसच्चमणप्पयोग. असारंभसचमण. समारंभसंचमणप्पयोगपरि० असमारंभसच्चमणप्पयोगपरिणए ?, गोयमा! आरंभसचमणप्पओगपरिणए वा||||
जाव असमारंभसचमणप्पयोगपरिणए वा, जइ मोसमणप्पयोगपरिणए कि आरंभमोसमणप्पयोगपरिहै णए वा ? एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेणवि, एवं सच्चामोसमणप्पओगपरिणएवि, एवं असचामोसमणप्पयो
5A5%255575AR
सच्चामोसमणप्पयोः परिणए वा, जइ मणप्प
भारंभसवाणा मोसमणप्पयोग
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 664