Book Title: Bhagwad Gita Vivechanatmak Shabdakosh
Author(s): Prahlad C Divanji
Publisher: Munshiram Manoharlal Publishers Pvt Ltd
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Bhagavad gita Word-Index Pt. II-B (a) 144. द्वेष-(१) इच्छाद्वेष । (२) रागद्वेष ।-(१) इच्छाद्वेषसमुत्थेन। (२) अरागद्वेषतः;
रागद्वेषवियुक्तैः ।
145. धर्म-(१) अधर्म । (२) कुलधर्म । (३) शाश्वतधर्म ।-(१) अधर्माभिभवात् । (२)
उत्सन्नकुलधर्माणाम् । (३) शाश्वतधर्मगोप्ता। 146. धा-एकधा-अनेकधा । 147. ध्यान-ध्यानयोग-ध्यानयोगपरः।
148. न*-Nos. of the Secondary Word-Units having this as one of
its componant parts :-2, 3, 5, 11, 12, 13, 14, 16, 26, 36, 38, 39, 44, 50, 66,74, 75, 76, 90, 105, 114, 115, 116,
119, 120, 124, 125, 126, 128. 149. नयन-वक्त्रनयन-अनेकवक्त्रनयनम् । 150. नर-नरलोक-नरलोकवीराः। 151. नाना-नानाशस्त्र-नानाशस्त्रप्रहरणाः। 152. निन्दा-(१) निन्दात्मसंस्तुति। (२) निन्दास्तुति ।-(१) तुल्यनिन्दात्मसंस्तुतिः ।
(२) तुल्यनिन्दास्तुतिः।। 153. निर्गत-नैष्कर्म्य नैष्कर्म्यसिद्धिम् । 154. निर्धूत-निर्धूतकल्मष-ज्ञाननिषूतकल्मषाः । 155. नेष-बाहूदरवक्त्रनेत्र-अनेकबाहूदरवक्त्रनेत्रम् ।
156. पब-कमलपत्र-कमलपत्राक्ष । 157. पर-(१) अपर। (२) परायण।-(१) अपरस्परसम्भूतम् । (२) कामक्रोध.
परायणाः; तत्परायणाः; प्राणायामपरायणाः; मत्परायणः; मोक्षपरायणः; श्रुति
परायणाः। 158. परिग्रह-सर्वपरिग्रह-त्यक्तसर्वपरिग्रहः । 159. पा (रक्ष)-अधिप-जनाधिपाः; नराधिपम् । 160. पाणि-पाणिपाद-सर्वतःपाणिपादम् । 161. पाद-पाणिपाद-सर्वतःपाणिपादम् । 162. पाल–अवनिपाल-अवनिपालसझैः ।
For the reason why the other particulars have not been given in the case of this tortinry word-unit see the foot-note under the game unit in the previous section at P.261 supra.
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