Book Title: Bhagvati Sutram Part 05 Author(s): Sudharmaswami, Publisher: Hiralal Hansraj View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir न्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥१०७३॥ HIॐ ॥ अहम् ॥ श्रीमद्गणधरवरसुधर्मस्वामिप्रणीता । १२शतके | उद्देशः५ ॥ व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥ १०७३॥ ॥ श्रीभगवतीसूत्रं भाग-५॥ (मूल सूत्र अने तेना गुजराती भाषान्तर सहित) (शतक १२.) उद्देशक ५. (चोथा भागर्नु अनुसंधान चालु ) रायगिहे जाव एवं वयासी-अह भंते ! पाणाइवामुसा. अदि मेहु. परि० एस णं कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते ?, गोयमा! पंचवन्ने दुगंधे पंचरसे चउफासे पण्णत्ते ॥ अह भंते ! कोहे १ कोवे २ रोसे ३ दोसे ४ अखमे ५ संजलणे ६ कलहे ७ चंडिक्के ८ भंडणे ९ विवादे १० एस णं कतिवन्ने जाव कतिफासे पण्णत्ते?, गोयमा! पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे चउफासे पण्णत्त । अह भंते! माणे मदे दप्पे धंभे गब्वे अनुक्कोसे: परपरिवाए उक्कोसे अवक्कोसे उण्णए उन्नामे दुन्नामे १२ एस णं कतिबन्ने ४ ?, गोयमा! पंचवन्ने जहा कोहे तहेव । अह भंते ! माया उवही नियडी वलये गहणे गृमे कक्के कुरुए जिम्हे किब्बिसे १० आयरणया गृहणया वंचणया For Private And PersonalPage Navigation
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