Book Title: Bhagvati Sutram Part 05 Author(s): Sudharmaswami, Publisher: Hiralal Hansraj View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kaleagarsuri Gyanmandir व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥१०७८॥ १२शतके उद्देशः ५ १०७८॥ SAMSHER मणुस्साणं पुच्छा ओगलियवेउब्वियआहारगतेयगाइं पडुच्चपंचवन्ना जाव अट्ठफासा पण्णत्ता, कम्मगं जीवं च पडुच्च जहा नेर०, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा नेर०, धम्मत्थिकाए जाव पोग्गल. एए सव्वे अवन्ना, नवरं पोग्गल. पंचवन्ने पंचरसे दुगंधे अडफासे पण्णत्ते, णाणावरणिज्जे जाव अंतराइए एयाणि चउफासाणि, कण्हलेमा णं भंते! कइवन्ना०१ पुच्छा, दव्वलेसं पडुच्च पंचवन्ना जाव अहफासा पण्णत्ता, भावलेसं पडुच्च अवन्ना ४, एवं जाव सुकलेस्सा, सम्महिट्ठी ३ चक्खुद्दसणे ४ आभिणियोहिय णाणे जावविभंगणाणे आहारसन्ना जाव परिग्गहसान्न एयाणि अवन्नाणि ५, ओरालियसरीरे जाव तेयगसरीरे एयाणि अट्ठफासाणि, कम्मग सरीरे चउफासे, मणजोगे वयजोगे य चउफासे, कायजोगे अट्टफासे, मागारोवओगेय अणागारोवओगे य अवन्ना। सव्वदव्वा णं भंते! कतिवन्ना? पुच्छा, गोयमा! अत्थेगतिया सव्वदवा पंचवन्ना जाव अट्ठफासा पण्णत्ता अन्थेतिया सव्वदव्वा पंचवन्ना चउफासा पण्णत्ता, अत्थेगतिया सव्वदव्वा एगगंधा एगवण्णा एगरसा दुफामा पन्नत्ता, अत्थेगइया मव्वव्वा अवन्ना जाव अफासा पन्नत्ता, एवं सवपएसावि, सव्वपजवावि, तीयद्धा अवन्ना जाव अफासा पण्णत्ता, एवं अणागयद्धावि, एवं सम्बद्धावि ॥ (सूत्रं ४५०) [प्र.] हे भगवन् ! मनुष्यो वे टला वर्णवाळा कह्या छ ?-इत्यादि. [उ०] औदारिक, वैक्रिय, आहारक अने तैजस पुद्गलोनी अपेक्षाए पांच वर्णवाळा यावत-आठ स्पर्शवाळा कह्या के, कार्मणपुद्गल अने जीवनी अपेक्षाए नैरयिकोनी पेठे (स. १३.) जाणवा. जेम नैरयिको कह्या तेम वानव्यंतर, ज्योतिष्क अने वैमानिको कहेवा. धर्मास्तिकाय अने यावत्-पुद्गलास्तिकाय-ए बधा वर्णरहित + 364 For Private And PersonalPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 524