Book Title: Bhagvati Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandie व्याख्या प्रज्ञप्तिः ॥१०७७॥ PHAA केटला वर्णवाळो, यावत-केटला स्पर्शवाळो कह्यो छे ? [उ.] ए प्रमाणे यावद्-स्पर्शरहित कह्यो छे. [प्र०] हे भगवन् ! सातमी नरकपृथिवी नीचेनो तनुवात केटला वर्णवाळो, यावत्-केटला स्पर्शवाळो कह्यो के ? [उ०] प्राणातिपातनी पेठे (स. ११) जाणवू, 151१२शतके परंतु विशेष ए छे के अहीं सातमो तनुवात आठ स्पर्शवाळो कह्यो छे. जेम सातमो तनुवात कह्यो छे तेम सातमो धनवात तथा| उद्देशः५ १०७७॥ | सप्तमपृथिवी जाणवी. छट्ठी पृथिवीनी नीचेनो अवकाशांतर वर्णादिरहित छे. छट्ठो तनुवात तथा यावद्-छट्ठी पृथिवी-ए बधां आठ 3 स्पर्शवाळां .ए प्रमाणे जेम सातमी पृथिवीनी बक्तव्यता कही, तेम यावत्-प्रथम पृथिवी सुधी जाणवू. जंबूद्वीप नामें द्वीप, यावत् खयंभुरमणसमुद्र, सौधर्मकल्प, यावद्-ईपत्प्राग्भारा पृथिवी, नैरयिकावासो तथा यावद्-वैमानिकावासो-ए बधा आठ स्पर्शवाळा छे. [प्र०] हे भगवन् ! नैरयिको केटला वर्णवाळा, यावत् केटला स्पर्शवाला कह्या छ ? [उ.] हे गौतम ! वैक्रिय अने तैजस पुद्गलोनी अपेक्षाए तेओ पांच वर्णवाळा, पांच रसवाळा, वे गंधवाळा अने आठ स्पर्शवाळा कह्या के, अने कार्मण पुद्गलोनी अपेक्षाए पांच वर्णवाळा, पांच रसवाळा, वे गंधवाळा अने चार स्पर्शवाळा कह्या के, तथा जीवनी अपेक्षाए वर्णरहित, अने यावद् स्पर्शरहित कह्या २. ए प्रमाणे यावत् स्तनितकुमारो सुधी जाणवं. [प्र.] हे भगवन् ! पृथिवीकायिको केटला वर्णवाळा १ - इत्यादि. [उ०] हे गौतम ! औदारिक अने तैजस पुद्गलोनी अपेक्षाए पांच वर्णवाळा, यावत् आठ स्पर्शवाळा २. कार्मणनी अपेक्षाए जेम नैरयिको | कह्या तेम कहेवा, अने जीवनी अपेक्षाए पण पूर्व प्रमाणे (वर्णादिरहित) जाणवा. ए प्रमाणे यावत्-चउरिन्द्रिय जीवो सुधी जाणवू. पण विशेष ए छे के, वायुकायिको औदारिक, वैक्रिय अने तैजसपुद्गलोनी अपेक्षाए पांच वर्णवाळा, यावद्-आठ स्पर्शवाला कह्या | छे, बाकी बधुं नैरयिकोनी पेठे जाणवं. तथा वायुकायिकोनी पेठे पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिको पण जाणवा. For Private And Personal

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