Book Title: Bhagvati Sutram Part 05 Author(s): Sudharmaswami, Publisher: Hiralal Hansraj View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Arviendra www.kobatirth.org व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१०७६॥ REGERMISSION Acharya Shri garsuri Gyanmandir भंते ! कतिवन्ना जाव कतिफासा पन्नत्ता, गोयमा! वेउब्वियतेयाई पडुच्च पंचवन्ना पंचरसा दुग्गंधा अट्ठफासा पण्णत्ता, कम्मगं पडुच्च पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा चरफासा पण्णत्ता, जीवं पडुच्च अवन्ना जाव अफामा पण्णत्ता, १२शतके उद्देशः५ एवं जाव थणिय, पुढविकाइयपुच्छा, गोयमा! ओरालियतेयगाई पडुच्च पंचवन्ना जाव अट्टफामा पण्णत्ता, C१०७६॥ | कम्मगं पडुच्च जहा नेर०, जीवं पडुच्च तहेव, एवं जाव चउरिंदि०, नवरं वाउकाइया ओरा. वेउ० तेयगाई पडुच पंचवन्ना जाव अगुफामा पण्णत्ता, सेसं जहा नेरइयाणं, पंचिंदियतिरिक्ख जोणिया जहा वाउक्काइया, [प्र०] हे भगवन ! १ प्राणातिपातविरमण, यावद्-५ परिग्रहविरमण, ६ क्रोधनो त्याग, यावद्-१८ मिथ्यादर्शनशल्यनो त्याग-ए बधा केटला वर्णवाळा, यावत् केटला स्पर्शवाळा कह्या छ ? [उ०] हे गौतम! वर्ण विनाना, गंध विनाना, रस विनाना अने स्पर्श विनाना कह्या छ. [प्र.] हे भगवन् ! १ औत्पतिकी (स्वाभाविक उत्पन्न थयेली), २ वैनयिकी (गुरुना विनय-शास्त्राभ्यासद्वारा थयेली बुद्धि). ३ कार्मिकी (कर्मद्वारा थयेली) अने ४ पारिणामिकी (लांबा काल सुधी पूर्वापर अर्थना अवलोकनादिकथी उत्पन्न थयेली) बुद्धि-ए केटला वर्णवाळी, यावत्-केटला स्पर्शवाळी कही छे ? [उ.] पूर्व प्रमाणे जाणवू, यावद्-स्पर्शरहित कही छे. [प्र०] हे भगवन् ! १ अवग्रह (अत्यन्त सूक्ष्म ज्ञान), २ ईहा (विचारणा), ३ अबाय-निश्चय अने ४ धारणा (उपयोगर्नु सातत्य)-ए बधा केटला वर्णवाळा, गवत्-केटला स्पर्शवाळा के ? (उ०) ए प्रमाणे यावद्-स्पर्शरहित कह्या . (प्र०) हे भगवन् ! १ उत्थान, २ कर्म, ३ बल ४ वीर्य अने ५ पुरुषकारपराक्रम-ए बधा केटला वर्णवाळा, यावत्-केटला स्पर्शवाळा कह्या के ? (उ०), पूर्व प्रमाणे यावद् ते स्पर्शरहित कह्या छे. (प्र०) हे मगवन् ! सातमो (सातमी नरकपृथिवी नीचेनो) अवकाशांतर-आकाशनो खंड CICIAL For Private And PersonalPage Navigation
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