Book Title: Bauddh Darshan ka Samikshatmak Adhyayana Author(s): Jyotsnashreeji Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur View full book textPage 9
________________ रत्नाकरावतारिका में बौद्ध दर्शन के विविधि मंतव्यों की समीक्षा 331 353 353 354 361 पूर्वपक्ष की समीक्षा 328 उपसंहार अध्याय 13 बौद्धों के शून्यवाद की समीक्षा 331 विषय-स्थापन 331 शून्यवादी बौद्ध-दर्शन का पूर्वपक्ष रत्नप्रभसूरि द्वारा शून्यवाद की समीक्षा 337 बौद्धों के शून्यवाद की तार्किक-समीक्षा 348 निष्कर्ष 350 अध्याय 14 आत्मा की अनित्यता और क्रिया तथा क्रियावान की अभिन्नता की समीक्षा सांख्य के कूटस्थ-नित्यवाद एवं बौद्धों के अनित्यवाद के पूर्वपक्ष बौद्धों द्वारा अपने पूर्वपक्ष की स्थापना और रत्नप्रभ द्वारा उसकी समीक्षा क्रिया और क्रियावान् के भिन्नत्व और अभिन्नत्व का प्रश्न 358 बौद्ध एवं वैशेषिक-पूर्वपक्ष 358 जैनों द्वारा वैशेषिक एवं बौद्ध-मत की समीक्षा 359 उपसंहार 359 अध्याय 15 पक्षाभास एवं हेत्वाभास के संबंध में बौद्ध-मन्तव्य की समीक्षा बौद्धों का पूर्वपक्ष 361 रत्नप्रभसूरि की समीक्षा 362 विरुद्ध हेत्वाभास के संदर्भ में बौद्धों के मंतव्य की समीक्षा 363 दृष्टान्ताभास के संदर्भ में बुद्ध की आप्तता की समीक्षा 364 हेत्वाभास के संबंध में जैन-दृष्टिकोण हेत्वाभास के संबंध में बौद्धों का पूर्वपक्ष असिद्ध-हेत्वाभास की जैन-दर्शन की समीक्षा का बौद्धों का प्रत्युत्तर बौद्धों के असाधारणानेकान्तिक (अनेकान्तिक) हेत्वाभास की समीक्षा37 उपसंहार 372 अध्याय 16 बौद्धों के बाह्यार्थ-निषेध एवं प्रमाण तथा प्रमाणफल की अभिन्नता की समीक्षा 374 (अ) बौद्ध-पूर्वपक्ष, बौद्धों द्वारा बाह्यार्थ का निषेध 374 (ब) रत्नप्रभसूरि द्वारा बाह्यार्थ के निषेध की समीक्षा बौद्धों के प्रमाण और प्रमाणफल की एकान्त-अभिन्नता के सिद्धांत की समीक्षा 375 (अ) बौद्धों का पूर्वपक्ष 375 (ब) रत्नप्रभ का उत्तरपक्ष अध्याय 17 उपसंहार 379 366 366 367 374 377 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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