Book Title: Baras Anupekkha
Author(s): Kundkundacharya, Vidyasagar, Chunilal Desai, Atmanandji Maharaj Maharaj
Publisher: Satshrut Sadhna Kendra

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Page 2
________________ RAING समर्पण OF संसार समुद्रका किनारा जिनका सन्निकट है, जिनके अन्तःस्तलमें सातिशय विवेकज्योति प्रकट हुई है, समस्त एकान्तवादरूप अविद्याका अभिनिवेश जिनका अस्त हुआ है, पारमेश्वरी अनेकांत-विद्याके जो पारगामी हैं, समस्त पक्षपरिग्रहसे मुक्त हो जानेसे जो अत्यन्त मध्यस्थ हैं, सर्व पुरुषार्थोमें सारभूतपना होनेसे आत्माके लिए अत्यन्त उत्कृष्ट, परम हितरूप, भगवान पंचपरमेष्ठीके प्रसादसे उपजन्य परमार्थसत्य अविनाशी मोक्षलक्ष्मीको जिन्होंने उपादेयरूप निश्चित किया है ऐसे सातिशय भेदविज्ञानी, अध्यात्मविद्याविशारद, युगप्रधान, अप्रमत्त योगीश्वर श्री कुन्दकुन्द आचार्यके अति पावन चरणोंमें यह ग्रन्थ सादर समर्पित है।

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