Book Title: Bahubali tatha Badami Chalukya
Author(s): Nagarajaiah Hampa, Pratibha Mudaliyar
Publisher: Rashtriya Prakrit Adhyayan tatha Anusandhan Sanstha

Previous | Next

Page 5
________________ vi | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य हमारे सुझाव पर हंपना जी ने कई ऐतिहासिक तथा साहित्यिक महत्व की पुस्तकें लिखीं। वर्तमान पुस्तक शिलालेखों तथा क्षेत्रकार्य पर आधारित एक अनुसंधनात्मक पुस्तक है। जैन प्रतिमाओं पर विशेष जोर देते हुए बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य का इतिहास लिखकर, एक लेखक, इतिहासकार तथा अनुसंधाता के रूप में उन्होंने विद्वानों की आकाशगंगा में अपना एक दृढ स्थान कायम किया है। इसी के साथ यह पुस्तक कर्नाटक के विभिन्न भागों पर अपना शासन करने वाले इस साम्राज्य में जैन धर्म के विकास एवं विस्तार का सर्वेक्षण प्रस्तुत करती है। साम्राज्य में प्राचीन अवशेष प्रचुर मात्रा में फैले थे जो कि भारत के सांस्कृतिक इतिहास के निर्माण में अनिवार्य है। ऐहोळे को जैन कला का 800 वर्ष का अठूट इतिहास है। हमारे सुझाव पर प्रो. हंप. नागराज्जय जी ने ऐतिहासिक तथा साहित्य के महत्व की कई पुस्तकें लिखी हैं। उक्त पुस्तक लेखक द्वारा किए गए अनुसंधान तथा क्षेत्र कार्य की अप्रतिम पुस्तक हैं। प्रो. प्रतिभा मुदलियार, मैसूर विश्वविद्यालय, मानसगंगोत्री, मैसूर, ने उक्त पुस्तक का अत्यंत सुंदर अनुवाद किया है। यह पुस्तक उनकी मेहनत, लगन, श्रद्धा और प्रेम का ही फल है। मेरी शुभकामनाएँ सतत उनके साथ हैं और मेरा आशिवार्द हमेशा उनपर बना रहेगा। मैं प्रो. हंप. नागराजय जी को बधाई देता हूँ तथा आशा करता हूँ कि पाठक उक्त पुस्तक का प्रसन्नता से स्वागत करेंगे। स्वस्ति श्री कर्मयोगी श्री चारुकीर्ति भट्टारक पट्टाचार्य स्वामीजी श्री क्षेत्र श्रवणबेळगोळ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 236