Book Title: Bagad ke lok Sahitya ki Zankhi
Author(s): L D Joshi
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 13
________________ बागड़ के लोक साहित्य की एक भांखी" (v) राइवोर तो गोयरे राइवर ने गोवालिये वकेंण्या रे राइवोर तो रेसम केरो रेज़ो रे राइवोर तो पाटण केरु राइवोर तो समोदर नो इरो रे फोंदु रे (ix) " Jain Education International " " "3 पदार्थों रे गजगा वारिण लो 11 X X (vi) जमाइ सा पाग भेजु रे सवा लाकनि । २ " "3 27 19 23 77 17 21 मांदधानि सतुराइ रे प्रोसिला जमाइ भले रे पदार्या समरत सासरे सोंगला भेजु रे सवा लाकना । २ मेल्यानि सतुराई रे सिला जमाइ मले रे पदार्या समरत सासरे टोपियो भेजु रे सवा लाकनो । २ पेर्यानि सतुराई रे श्रोसिला जुमाइ भले रे पदार्या समरत सासरे मन भेजु रे सवा लाकनि । २ परण्यानि सतुराइ रे ओ सिला जमाइ भले रे पदार्या समरत सासरे X X X (vii) लाडि लाडो माँडवे बेटं घुजे रे पोपट पानु । २ लाकड़ा ने विरोजि कुँवारा रे safe माबि बाइ कुवारि रे प्रेरण ने दोय ने परणावो रे दोयं ने जोड़ि बरण से रे " " 13 31 39 17 11 19 22 33 11 31 ....... 27 X X इस गीत में 'दोय' मेवाडी' तथा 'बण से' गुजराती शब्द हृष्टव्य हैं । (viii) सोनानु ए रेकड़ ने वायरे उडयु जाय रे........... वाइ तमारु नाक वाड्यु जान भूकि जाय रे" सोनानु एकड़ ने वायुरे उड्य जाय वेण तमारु नाक वाड्य जान तरि जाय रे. X X ( बडुवा गीत ) बडुवा काने कड़ि माते घड़ि सोने जुड़ि जाइ बेटा दादाज़ ने खोले सड़ि "" X For Private & Personal Use Only X X ५१ www.jainelibrary.org

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