Book Title: Bagad ke lok Sahitya ki Zankhi
Author(s): L D Joshi
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 16
________________ ४ प्रो. डॉ. एल. डी. जोशी गया थोडुक २ अरजि दुद पावज़ो सादु भुक्यो आवियो सो सो मैनंनि वाकरि बाकड़ि दुद कण-बद काडो सो समरत प्रोवो तो गरु मारा काडजो दुद काडि अरोगो सो ज़ि तुबड़ि ले ने गरु मारा वराज्या तुबड़ि दुदे भरॅणि सो जि"......" ओ तो जाणों के बाबो जादु-खोरियो बाबो मल्यो हे अन्याडि...... दुदे काड्य से अरजि दावड़ा तु बड़ि में तमें खिर पकावो अगनि लागे ने तुबड़ि बलि जावे दुद रिटाइ जावे हो जि..... अगनि लगाड़ि अरजि दावड़े तुबे खिर पकावि सो ज़ि"......" पोतो जाणों के बाबो जादु-खोरियो बाबो मल्यो से अन्याडि खिर वेगावि अरजि दावड़ा खिर में साकर नकावो सो सो को माते गरु मारा सेर वसे वन में साकर क्य थकि सो धोबला भरो रे परजि रेतना खिर में साकर नकावो रेत नाकि ने गरु मारा खिर पकावि......... धोबलो भरि ने अरजि खिर पियो थोड़ि अमने पो हो ज़ि......... खिर खावि ने अरज़ि केवु बोल्या खिर में साकर गोलॅणि ओ तो जाणों ते बाबो जादु खोरियो बाबो मल्यो से अन्याडि खिर खादि हों अरज़ि दावड़ा थोडु पाणि पावो हो जि......... खुवा-वावड़ि सो गरु वेगलं पाणि करणबद लावो हो जि........ तुबड़ि ले ने अरजि डोंगरि सड़ो खोरा में बगलु विय णु हो जि........" डोंगरे सड़ि ने अरजि नेसे जोयु गंगा उलटे भरणि । नेसे जोइ अरजि विसार करे ज़-टवैसाक में पाँरिण क्य थकि......... ओ तो जाणों रे बाबो जादु-खोरियो मल्या रोणिज़ा वाला राम हो ज़ि........" जेलो एलोलो अरजि दियो तारज़ो पेला जुग में बिजो एलोलो अरजि दियो तारज़ो बिज़ा जुग में तिजो एलोलो परजि दियो तारजो तिजा जुग में सोतो एलोलो अरजि दियो तारजो सोता जुग में पाणि लावि अरजि प्रापियु दोवारिक ना नात ने पाणि पाइ ने अरजि सरणे पड़या के प्रावो आपने लारे हो जि......... काजलि वन में तारि बाकरि सो वाघ-वरु खाइ जाय हो गायँ ना गो वालि विरा तने वेदवु घड़ि बाकरिये थामो सो जि......." पासु फरि ने अरजि जोय तो राम रोंणिजे सिदायी हो ........ दोय पात जोड़ि ने अरजि बोलिया संत ने दोवारिक में वास Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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