Book Title: Bagad ke lok Sahitya ki Zankhi
Author(s): L D Joshi
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 17
________________ "वागड़ के लोक साहित्य की एक झांखी" (५) पारसियाँ : पहेलियाँ 'Riddles' १. प्रोसा गलानि जे कॅय पोटड़ि ने बेटि जाजेम पातरि-२ सतुर ओय तो सोड़ जु कय मुरक गोता खाय सोड़ो वेवाइ मारि पारसि...............= (बिछात पर शराब की बोतल) ओंसि गोरि पातलि जि कय नदिये नावा जाय-२ सतुर होय तो सोड़ जु ने कय मुरक गोता खाय. सोड़ो जमाइ मारि पारसि.............= (भीडी) डाक्कैण भुतनि लड़ाइ सालि जि कँय सुड़वेल सोडाववा ज़ाय-२ सतुर होय तो सोड़ी लेजु कय मुरक पड़यो जंजाल मारि सेज़न सोड़ो वेवाइ मारि पारसि......" = (ताला-चाबी) ४. राति माटलि मारि रंगे भरि उपर जड्यो रे जड़ाव २ सतुर होय तो सोड़ी लेजु कय मुरक गोता खाय सोड़ो बेवाइ मारि पारसि......................."= (लाल मिर्च) वना माता नो बोकड़ो जि कॅय-२ पाटो पाट वेसाय मारि सेजन छोड़ो वेवाई मारि पारसि........ ..... = (नारियल) पाँस पाइयालो ढोलियो ज़ि कँय-२ ढाल यो राजदरबार मारि सेज़न सोड़ो जमाइ मारि पारसि............. = (हाथी) ७. वना माता रो बोकड़ो ज़ि कय-२ वन सरवा ने जाय मारि सेजन सतुर होय तो सोड़जो ज़ि कय मुरक करे रे वस्यार । सोडो जमाइ मारि पारसि..................... = (कुल्हाड़ा) __कालो खुवो कालु पाणि ने कालि भमरज़िरि सेजलडि २ सतुर होय तो सोड़जो ज़ि केय मुरक गोता खाय सोड़ो वेवाइ मारि पारसि...... ....... = ( काजल ) (६) कहावतें और मुहावरे १. प्रजण्या नुं प्रांगणे मौत २. अण भण्या न उदार खातं ३. अण कमाउ खेति करे तो बलद मरे के बिज़ पड़े ४. दाल वगड़े अनो दाड़ो वगड़े ५. अन्याडि प्रोवे इ आड़े डाले बेइने वाढे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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