Book Title: Bagad ke lok Sahitya ki Zankhi
Author(s): L D Joshi
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 18
________________ ८६ प्रो. डॉ. एल. डी. जोशी ६. अमिर ने आदर सौए करे ७. अमिर ने धोड़ ने गरिब ने जोड़, ८. अलाव्या वना प्रोज ६. अलो ड्यु तो वाघ-ए में खाय १०. अंदा रवै ने कुत्ता पिये ११. प्राइ एवि दिकरि ने धड़ो एवि ठिकरि १२. प्राइ जोवे प्रावतो ने वो जोवे लावतो १३. ऑगणे खुवो ने वो उसमणि १४. आँदलँ घोडे ने बाबलेया सणा १५. अांदल ने सुदिवा ने रॉडय ने सु विवा १६. भापड़ि तो बापड़ि ने पारकि सेनाल १७. प्रावि हाटि ने बुद्दि नॉटि १८. प्रावि आदत कारये में जाय १६. उपर वागा ने नेसे नांगा २०. एक एकड़ा वना सब मेंडें खोटं २१. एक सति ने हो जति हरकँ २२. कतुवारि नुं सदरे ने वतुवारि नुं वगड़े २३. करे सेवा इ पावे मेवा २४. कात्या एना सुत ने जण्या एना पुत २५. कामटे वदे इ रोत (Leader) २६. काम सदारो तो पंडे पदारो २७. काम वेले काकि ने पसे मेलि पाकि २८. खायं एनि भुक जाय २६. खोटु नारेल होलि में ३०. गदेड कुगे राजि ३१. गरु गांडिया ने सेला डांडिया ३२. गरिब नि बैरि आका गाम नि भाबि ३३. गोल वना हं सोत ३४. घॉसि नि बेटि ने हानि नो भावको ३५. टालजु इ ने बेजु वि ३६. ठालो पात मोडे में जाय ३७. दइ ने इ देव ने ३८. दुबलि गाय ने बगा गणि ३६. धरम धिर ने पाप उतावले ४०. नदि में खातर सुकामनुं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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