Book Title: Badmer Aur Mumbai Hastlikhit Granth Suchipatra
Author(s): Seva Mandir Ravti Jodhpur
Publisher: Seva Mandir Ravti Jodhpur
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० प्राक्कथन ०
सेवामन्दिर जोधपुर के रावटी स्थित जिनदर्शन प्रतिष्ठान द्वारा देश के इस भू-भाग में पाये जैन ज्ञान भण्डारों में और यत्र तत्र बिखरे पड़े हस्तलिखित ग्रन्यों के बारे में कुछ वर्षों से एक परियोजना क्रियान्वित की जा रही है जिसके कतिपय पहलू निम्न प्रकार हैं --
(i) आधुनिक ढंग से इन ग्रंथों का पूर्ण बोगतवाः सूचीकरण और उन सूची पत्रों का मुद्रण;
(ii) ग्रन्थों का संग्रहण भोर भण्डारों का विलीनीकरण; . (iii) अतिप्राचीन, जीणं, प्रथम प्रादर्श, प्रद्यावधि अमुद्रित, दुर्लभ, सचित्र, अत्यन्त शुद्ध, संशोधित या
अन्यथा महत्वपूर्ण ग्रन्थों का फोटु प्रतिबिम्ब या फील्मीकरण; (iv) ग्रन्थों के वैज्ञानिक ढंग से भण्डारीकरण एवं संरक्षण हेतु आवश्यक सलाह, सहायता व साधन
सामग्री का वितरण ।
सूची पत्रों के मुद्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत तृतीय ग्रंथ के रूप में बाड़मेर जिले व मुम्बई के निम्न जैन ज्ञान भण्डारों का यह सूची पत्र तैयार होकर प्रकाशित किया जा रहा है। .
बा
भाग-१
सूची पत्र में स्रोत संकेत (1) श्री शान्तिनाथजी के मन्दिर का ज्ञान भण्डार, बाड़मेर (2) यति श्री माणकचंदजी का ज्ञान भण्डार, बालोतरा
Bo(3) श्री संघ जैन ज्ञान भण्डार, चौहट्टन
चौ०(4) श्री भीकचन्दजी ललवाणी दादावाड़ी शान भण्डार, गढ़ सिवाना
सि०(5) मत्थेण श्री संपतराजजी का ज्ञान भण्डार, बाड़मेर
बा (सं)(6) जैन ज्ञान गच्छ भंडार, रायपुर हवेली कपड़ा बाजार, जोधपुर
माग-२ (7) जिनदत्त सूरि ज्ञान भण्डार, 8 पायधुनी मुम्बई 400003
इस सूची पत्र में कुल 4938 प्रतियों का सूचीकरण किया गया है। प्रतियें विशेष पुरानी नहीं है विक्रम की सोलहवीं शताब्दी बाद की ही हैं। इन भण्डारों को स्थापना का विशेष कोई इतिहास प्राप्य नहीं है। मुम्बई का भण्डार 20वीं सदी में खरतर-गच्छाचार्य श्री जिन रत्न सूरि द्वारा संग्रहीत है और रायपुर हवेली जोधपुर के भंडार को छोड़कर बाकी सब भण्डार जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ की आम्नाय वालों द्वारा स्थापित व व्यवस्थित है। यद्यपि बाड़मेर, चौहट्टन व सिवाना इस क्षेत्र के प्राचीन नगर है परन्तु इन भण्डारों में अधिक प्राचीन ग्रंथ उपलब्ध नहीं है।
यह सूची पत्र किस प्रकार बनाया गया है तत्सम्बन्धी जानकारी व स्पष्टीकरण निम्नलिखित "संकेत" में दिये जा रहे हैं। इस सूची पत्र का सही रूप में उपयोग हो सके उस वास्ते उस लेख को ध्यान पूर्वक पूरा पढ़ लेना अनिवार्य है । उस पर भी यदि मुद्रित जानकारी व सूचना से किसी ग्रन्थ के बारे में पाठक वृन्द को संतोष न हो, शंका हो या विशेष जिज्ञासा हो तो प्रार्थना है कि हमसे सम्पर्क करें; प्रति आदि उपलब्ध कराने में और उन्हें हर प्रकार से सहयोग देने में हम हमारा अहोभाग्य समझेगे। .