Book Title: Badmer Aur Mumbai Hastlikhit Granth Suchipatra
Author(s): Seva Mandir Ravti Jodhpur
Publisher: Seva Mandir Ravti Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ उपलब्ध ग्रंथान ग्रंथकार वर्गीकरण प्रमाण टिप्पणी क्रम. नाम 12 प्राकृतनाम 3 नं.पा. x xxx० का. x 89 महानिशीथ महाणिसीह 4554 उद्धरित,हरिभद्र छेद,का. 90 महापुण्डरीक महापुडरीय दिगम्बर 91 महाप्रज्ञापना महापन्नवणा उत्का . नं.पा. 92 महाप्रत्याख्यान महापच्चक्खाणं 176 गा. 143 प्र. A 8,उत्का नं.पा. 93 महास्वप्नभावना महासुमिणभावजाणं । का. व्य.पा.जो. 94 योनिप्राभूत जोणीपाहुड 800 घरसेनाचार्य प्र.C8 . ध... 95 राजप्रश्नीय रायपसेरिणयं 2076 उपाङ्ग(2)उत्का . नं.पा. 10,254 96 वरुणोपपात वरुणोववाए नं.व्य पा. 97 विद्याचरण विनिश्चय विज्जाचरण विणिच्छी उत्का . नं.पा. 98 विपाकसूत्र विवागसुयं 1250 दो स्कंध सूधर्मावाचना अंग(11)का. सर्वमान्य (पूरानामकर्मविपाकसुख/दुख) 8,252 99 विहारकल्प विहारकप्पो उत्का . नं.पा. 100 वीतरागश्रुत वीयरायसुतं उत्का . नं.पा. 101 वीरस्तव वीरत्ययो 50 गा. 43 प्र.A9 102 वृद्धः चतुः शरण विद्धचउसरण 115 गा.90 देवेन्द्र साधु प्र.C9 अपर नाम सुप्रणिधान कुलक 262 . 103 वृष्णिदशा वण्हीदसामो 130 उपाङ्ग(12)का. नं.पा. 12,254 104 वृष्णिका वण्हीयानो का. नं.पा.जो. 105 वेलन्धरोपपात वेलंघरोववाए का. नं.व्य.पा. 106 वैनयिक वेणइयं दिगम्बर 107 वैश्रमणोपात वेसमणोववाए का. नं.पा.व्य. 108 व्यवहार ववहारो . 370 भद्रबाहु छेद, का. नं.पा.घ. धवलामेंबृहत्कल्प (82) केसाथ 12,254 109 व्याख्या प्रज्ञप्ति वियाह पन्नति 16,000 सुधर्मावाचना अंग(5)का. सर्वमान्य प्रसिद्ध नाम भगवती सूत्र 4,252 110 व्याख्या चूलिका वियाह (विवाह) चूलिया। का. नं.व्य.पा. दिगम्बर में दृष्टिवाद परिकर्म x (प्रज्ञप्ति II) 111 षट्खण्डागम छक्खंडागमे 6000 पुष्पदंतभूतबलि दिगम्बर 112 सड क्षेपितदशा संखेवियदसा ठां.755 x xxx ध. xx

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 188