Book Title: Avashyakasutram Part_3
Author(s): Bhadrabahuswami, Malaygiri,
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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श्रीआवश्यकमलय० वृत्तौ
उपोद्घाते
॥४५३॥
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ताहे ताओ तं आयरियं खिंसंति-कीस आहणासि ?, किं सुलभाणि पुत्तजम्माणि !, ततो ते न सिक्खिया । इतो य महुराए पश्यओ राया, तस्स सुया निनुई नाम दारिया, अण्णे भणंति-जियसत्तू राया, तस्स सुया सिद्धिया नाम, सा रण्णो अलंकिया भाऊए उवणीया, ताहे राया भणइ-जो तुह रोयइ सो तुह भत्तारो, ताए नायं-जो सूरो वीरो विकंतो सो मम भत्ता भवउ, सो पुण रज्जं देज्जा, ताहे सा पभूयं बलवाहणं गहाय गया इंदपुरं नगरं, तत्थ किल इंददत्तस्स रण्णो बहवे पुत्ता इति, इंददत्तो तुट्ठो चिंतेइ - नूणमहं अण्णेहिं राईहिंतो लट्ठो आगमितो, ततो णेण ऊसियपडागं नगरं कारियं, सेसा बहवे अप्पाणुगा रायाणो दूयं पेसिऊण आवाहिया, तहा एगंमि अक्खे अट्ठ चक्काणि कारवियाणि, तेसिं पुरतो ठिया घिउल्लिया, सा अच्छिमि विधेयवा, ततो इंददत्तो राया सन्नद्धो सह पुत्तेहिं निग्गतो, ताहे सा कण्णा सवालंकारविभूसिया एगंमि पासे अच्छइ, सो रंगो ते रायाणो ते य भडभोइया जहा दोवइए सयंवरमंडवे तहा भाणियवा, तत्थ रण्णो सिरिमालीनाम कुमारो, सो भणिओ-पुत्त ! एसा दारिया रज्जं च घेत्तवं एयं राहावेहं विंषेऊण, तो विंध एयं पुतलियंति, एवं भणितो सो उक्करिसिओ-नूणमहं सहिंतो लठ्ठओ, सो य वराओ अकयकरणो तस्स समूहस्स मज्झेणं धणुं चैव गिहिरं न तरइ, किहवि अणेण गहिअं, तो जतो वच्चइ ततो वच्चउत्ति मुक्को सरो, सो चक्केसु अप्फिडिऊण भग्गो, एवं कस्सर एवं अरगं वोलीणो, कस्सइ दुण्णि, कस्सइ तिण्णि, अन्नेसिं बाहिरं चैव निग्गयं, ताहे राया अधितिं चैव पगतो - अहो अहं एएहिं पुत्तेहिं घरिसिओत्ति, ततो अमचेण भणियं देव! कीस अद्धितिं करेसि १, राया भणइ-एएहिं अप्पहाणो कओ, अमचो भइ-अत्थि अण्णो तुब्भ पुत्तो मम घूयाए तणओ सुरिंददत्तो नामेणं सो कयकरणो समत्थो विधिउं, ताहे राया
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कथंद्वारे
चकरष्टान्तः
॥४५३॥
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