Book Title: Avashyakasutram Part_3
Author(s): Bhadrabahuswami, Malaygiri, 
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ K *%AGARAASAX* पुच्छइ-कतो मम पुत्तो?, ताहे से अभिण्णाणाणि सिट्ठाणि, ततो राया तुडो भणइ-कहिं सो ?, अमञ्चेण दरिसिओ सुतो, राइणा उवहिऊण भणिओ-सेयं तव एए अट्ठ चके मेत्तूण पुत्तलियं अच्छिमि विधि रजसुहं निबुइदारियं च संपावित्तए, ततो कुमारो जहा आणवेहत्ति भणिऊण रण्णो उवज्झायाणं च पणामं करेत्ता ठाणं ठाऊण धणुं गेण्हइ, लक्खामिमुह सरं सजेइ, ताणि य दासरूवाणि चउद्दिसिं ठियाणि रोडंति, अण्णे य दो पुरिसा राइणा भणिया, ततो पासं गहियखग्गा चिट्ठति, जइ कहवि लक्खस्स चुकिहिसि तो सीसं छिंदियबंति, सो य से उवज्झाओ पासे ठिओभयं देइ-मारिजासि जइ चुकिहिसि, ते बाबीसंपि कुमारा एस विधिस्सइत्ति सविसेसमुल्लंठाणि भणंता विग्याणि करेंति, ततो तेण चत्तारि दासरूवाणि ते य दो पुरिसे ते य बाबीसं कुमारे अगणंतेणं ताणं रहचक्कन्तराण समंताणमंतरं जाणिऊण तम्मि अरके निरुद्धाए दिहीए अन्नत्थ मणं अकुणमाणेण सा घिउल्लिया वामे अच्छिमि विद्धा, ततो लोगेण उक्किठिसीहनायकलयलमिस्सो साहुकारो कतो, जहा तं चक्कं दुक्खं मेत्तुं एवं माणुसत्तणंपि०७॥ ___ अष्टमश्चर्मदृष्टांतः, स चैवं-जहा एगो दहो जोयणसहस्सविच्छिन्नो चम्मावणद्धो, एग से मज्झे छिडु जत्थ कच्छवगीवा | मायइ, तत्थ एगो कच्छवो सो वाससए२ गीवं पसारेइ, तेण कहमवि गीवा पसारिया, जाव तेण छिद्देण निग्गयो, तेण कोमुईए जोइसचक्कं दिटुं पुप्फफलाणि य, सो गतो सयणिजाणं दाएमित्ति, ततो सयणवग्गं आणेत्ता सबतो पलोएइ, ण : पेच्छइ, अविय सो देवयाए पसाएण पेच्छेजा न य माणुसत्तणाओ भहो पुणो माणुसत्तणं लहइ ८॥ RRCARRC Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 312