Book Title: Aupapatikopanga Sutram Author(s): Jinendrasuri, Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 2
________________ औपपाति-61 प्रकाशिका-श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला [लाखाबावल] Co. श्रुतज्ञान भवन, ४५, दिग्विजय प्लोट, जामनगर प्रस्ताव नादि कम् वीर सं. २०१९ :: विक्रम सं. २०४९ :: सन् १९९३ :: प्रथमावृत्तिः :: ॥२॥ प्रतयः ५०० * प्रकाश की य * अमारी ग्रन्थमाला तरफथी प्राचीन साहित्य प्रकाशन योजनामा आगम पंचांगी (छेदसूत्र सिवाय) प्रकाशन योजना पण चालु करी छ. ए योजनामां आ श्री औपपातिसूत्र सटीक ग्रंथमालाना प्रन्थांक २६१ तरीके प्रकाशित थाय छे. आ पंचांगीन संशोधन संपादन पू. आ. श्री विजयजिनेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज करी रहेल छे. आ सूत्रोनें अध्ययन सुलभ अने व सर्वांगी बने ते आशय छे. आ कार्य मोटु छे तेमां सर्व पूज्यो तथा संघोनी सहकार माटे अपेक्षा राखीए छीए. ता. २१-७-९३ . शाक मारकेट सामे, जामनगर महेता मगनलाल चत्रभुज व्यव. श्री हर्षपूष्पामृत जैन ग्रंथमाला ॥२॥Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 200