Book Title: Atmprabodh
Author(s): Jinlabhsuri, Zaverchand Bhaichand Shah
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 9
________________ RESERESERESEARCCESSEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEESERSEENESCERA अर्पणपत्रिका. स्वर्गवासी बाबुसाहेब, गुलाबचंदजी अमीचंदजी पन्नालाल झवेरी, मुंबश्. आप व्यावहारिक स्थितिमां सारी प्रवृत्तिवाळा हता. आफ्नो उच्च कुळमां जन्म थयो होवाथी तेमज बाबु पन्नालाल पुरणचंदजीना पौत्र थता होवाथी जवेरीना धंधामां कुशळ होवासाथे धर्मउपर श्रघावाळा हता. आपर्नु हृदय जधिक, शांत, उदार अने साधर्मी बंधुओने सहाय करवानी नावनाथी वासित हतुं. जीवदया अने झानोछारना कार्यों पर आपने खास प्रेम हतो. आपना तेवा प्रेमपात्र धार्मिक कार्यो जोवानो जैनसमाजने वखत आव्या पहेला नघुवयमा आफ्नो देहोत्सर्ग थयो , तेवा परलोकवासी आत्माने नावमय शांति आफ्नारो, अने भव्यात्माने आत्मबोध प्राप्त करावनारो (आत्म स्वरूप ओळखावनारो) आ आत्मप्रबोध ग्रंथ आपना स्मरणीय हृदयमां आरोपित करी तेनी प्रेरणा करनार आपना पितृनक्त पुत्र बाबु साहेब प्रतापचंदजीना पुत्र कर्तव्यने अभिनंदन आपी अमे अति आनंदित थइए जीये. आत्मानंद भुवन. श्री जैन आत्मानंद सभा, भावनगर. MNSNA.COM HTONDA HERECASSENCECEDESEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEN Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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