Book Title: Astapahud Author(s): Jaychand Chhabda, Kundalata Jain, Abha Jain Publisher: Shailendra Piyushi Jain View full book textPage 2
________________ A A दर्शनपाहुड़ न सूत्रपाहुड़ DAR 200000mmnamasanman సరయు నందు మరియు चारित्रपाहुड़ - बोधपाहुड़ PAARAA.-.-.. anhemeena भावपाहुड़ . लिंगपाहुड़ •| शीलपाहुड़ अष्टपाहुड अष्टपाल इस 'अष्टपाहड़' ग्रंथ को 'जो जीव भक्तिभाव से पढते हैं, सुनते हैं और इसका बार-बार चितवन एवं भावना करते हैं वे जीव शाश्वत सुख जो नित्य, अतीन्द्रिय और ज्ञानानन्दमय सुख उसको पाते हैं सो इसको निरन्तर पढ़ना, सुनना व इसकी भावना रखनी।Page Navigation
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