Book Title: Ashtangat Rudaya Author(s): Vagbhatta Publisher: Khemraj Krishnadas View full book textPage 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आने. n on o vvv on क्रय्यपुस्तकानि-(वैद्यकग्रंथाः) रुपये. सुश्रुतसंहिता-सान्वयसटिप्पण सपरिशिष्ट भाषाटीका समेत-सूत्रस्थान, निदानशारीर स्थान, चिकित्सकस्थान, कल्पस्थान, उत्तरतंत्र, संपूर्ण पंडित राजवैद्य मुरलीधरजीकृत भाषाटीका सहित जिसमें संपूर्णरोगोंका निदान, लक्षण और औषधोंके प्रचार वा प्रत्येक रोगपर काथ, चूर्ण, रस, घी और आदिसे अच्छीप्रकारसे चिकित्सा वर्णित है. इसग्रंथकी योग्यता संपूर्ण भारतवर्षमें प्रसिद्धहै ... " तथा उपरोक्त सब अलंकारों समेत सूत्रस्थान प्रथमभाग निदान शारीरस्थान द्वितीयभाग " चिकित्सा व कल्पस्थान तृतीयभाग ...... ३ " " उत्तरतंत्र च तुर्थभाग " " केवलशारीरस्थान चरकसंहिता-पं. मिहिरचंद्रकृत भाषाटीका समेत सूत्र निदान शारीर चिकित्सक, कल्प, और सिद्धिस्थानादिमें उपरोक्त विषयानुसार वर्णितहै ... ... ... ८ हारीतसंहिता-मूल पंडित रविदत्तकृत भाषाटीका सहित और राजवैद्य पं० मुरलीधरकृत संशोधित इसके छः स्थानोंमें संपूर्ण पयधान्यादिवर्ग और औषधीका गुणदोष और रोगोंकी उत्पत्ति संप्राप्तिलक्षण निदान चिकित्सादिका वर्णनहै ........... भावप्रकाश-मूल और लालाशालिग्रामकृत भाषाटीका तीनखंडोंमें भावमिश्रकृत संगृहीत कर्पूरादिवर्ग, गुडूच्यादिवर्ग, पुष्पवर्ग, वटादिवर्ग, आम्रादि फलवर्ग, शाकवर्ग, मांसवर्ग, जातिभेदसे पशुपक्षियोंके मांसके गुण, कृतान्नवर्ग, वारिवर्ग, दुग्धवर्ग, नवनीतवर्ग, धृतवर्ग, मूत्रवर्ग, तैलवर्ग, सन्धानवर्ग, मधुवर्ग, इक्षुवर्ग, अनेकार्थ नामवर्ग, धातुनाम, शोधन मारणविधि, पुटपकार, रत्नोंकी शोधनमारणविधि, विष और उपविष की शो धनविधि इत्यादि संपूर्ण रोगोंकी उत्पत्ति संप्राप्ति निदान चिकित्सा इत्यादि वर्णित हैं ७ धन्वंतरी-वैद्यक-लालाशालिग्राम वैश्यकृत भाषाटीका समेत जिसमें समस्तरोगोंका निदान कारण लक्षण और चिकित्सक औषधि संग्रहकर लिखाहै... ... ... ५ अष्टांगहृदय वाग्भट्ट-मूल .. ... ... ... ... .... ....३ शाङ्गधरसंहिता-मूल और पं० दत्तरामचोबेकृत भाषाटीका समेत चरक वाग्भट सुश्रुतादिसे संगृहीत-इस ग्रंथमें रोगोंकी उत्पत्ति लक्षण प्रतीकार सबप्रकारकी धातुओंका मारणशोधन आदि प्रयोग बहुत आजमाये हुए लिखेहैं और रसादिके सेवनकी विधि भी संयुक्त है ग्लेज कागज ... ... .... ... .... .... ...२॥ " तथा रफ ... ... ... .... .... ... ... . .... .... २ पुस्तक मिलनेका ठिकाणा खेमराज श्रीकृष्णदास, "श्रीवेङ्कटेश्वर” स्टीम् प्रेस-बंबई. For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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