Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

Previous | Next

Page 8
________________ प्रस्तावना. "त्यारपरी वस्तुपाळ मंत्रीए अनेक पुर अने ग्रामना रहेवाशी श्रावकोना समूह घाला मानपूर्वक श्रीधवलक पत्तनमां वोखावीने श्रीनागें गबना सूरीश्वर पासे कि · प्रकारना महोत्सवपूर्वक बन्ने प्रकारे क्षमाने धारण करनार श्रीउदयप्रन सूरिनी जगत अद्लुत एवी श्राचार्यपदनी प्रतिष्ठा करावी. ते वखते ( दान वमे) सर्व प्राणी मनोरथ तेणे (मंत्रीए) पूर्ण कर्या. ते महोत्सव जोवानी श्वाथी त्रणसो आचार्यो पो पोताना गल अने संघ सहित मंत्रीना आमंत्रणथी त्यां पधार्या हता. परिवार सहित सर्व श्राचार्योना समूहनी पूजानो महोत्सव मंत्रीए शुद्ध वस्त्रादिक वझे विधिपूर्व को हतो.” इत्यादि. श्रा उदयप्रन सूरिए धर्माभ्युदय नामनुं महाकाव्य, सुकृतकीर्तिकल्लोलिनी त' उपदेशमाळा उपर कर्णिका नामनी वृत्ति ( टीका) रची जे. ते विषे कर्णिका वृत्ति प्रशस्तिमां था प्रमाणे लख्यु जे. "श्रीमधिजयसेनस्य, सौमनस्यं न मन्यते । - यघासिता धृताः कैर्न, गुणाः शिष्याश्च मूधसु ॥ १२॥ शिष्यस्तस्य च लक्षणक्षणचणः साहित्य सौहित्यवानुद्यत्तार्किकतर्ककर्कशमतिः सिद्धान्तशुशान्तरः । श्रीधर्माज्युदये कविः प्रविलसदुर्वादिगोत्रे पविस्तामेतामुदयप्रनोऽस्य गणनृवृत्तिं व्यधात्कर्णिकाम् ॥ १३ ॥ सेयं पुरे धवलके तिलके धरियां, मंत्रीशपुण्यवशतो वसतौ वसनिः। वर्षे निध्यङ्कनयनेन्मुमिते (१२एए) वितेने, श्लोकैः शिवोदधिशिवैः प्रमितेऽद्भुतश्रीः ॥२१॥" "श्रीमान् विजयसेन गुरुना चिसनी प्रसन्नताने कोण नथी मानता? ते गुरुथी वासि श्रयेखा तेना गुणो अने शिष्यो कोणे मस्तक पर धारण नथी कर्या ? ते गुरुना शिष सक्षण शास्त्रमा निपुण, साहित्यना विषयमा विधान् , विकास पामता तार्किक लोको तर्कनो पराजय करवामां कर्कश मतिवाळा, सिघांतना ज्ञानथी शुछ हृदयवाळा, श्रीधम. ज्युदय काव्यना कवि (रचनार ) अने विकास पामता पुष्ट वादी रूपी पर्वतने नेद वामां वन समान श्रीउदयप्रन सूरिए था उपदेशमाळानी कर्णिका नामनी वृत्ति करीने १ मा काव्यमा वस्तुपाळ मंत्रीज चरित्र आवे छे. २ कर्णिका वृत्तिनी प्रत मळी शकी नट परंतु आ उदयप्रभ सूरिना शिष्य श्रीमल्लिषेण सूरिए रचेली स्याद्वादमंजरी (टीका )नी प्रस्तावनामा आ श्लोको मळी आव्या छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 524