Book Title: Anuyogdwar Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha, 
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ SHESE अनुयोग विधिः अनुयो A | जिणायतणादिसु भूमि पमज्जित्ता दो णिसेज्जातो कजंति, एका गुरुणो बितिया अक्खाण, चरिमकाले य पवेदिए णिसज्जाए अनुयोगट | णिसण्णो गुरू अहजातोवगरणो य पुरतो ठितो सीसो, गुरू सीसो दोवि मुहपोत्तियं पडिलेहंति, ततो तीए चूणों ससीसोबरियं कार्य पडिलेहंति, ततो सीसो बारसावत्तवंदणं दातुं भणादि-संदिसह सज्झायं पटवमि, पट्टवेहत्ति, ॥४॥ | ततो दुवगावि सज्झायं पवेति, तो पढविते गुरू णिसीतइ, ततो सीसो बारसावत्तेणं वंदेइ, ततो दोवि ओडेन्ति, अणुयोगे पट्ठविते य गुरू णिसीयति, ततो सीसो बारसावतेणं वंदइ, वंदिता गुरुणा अभिमंतणे कते गुरू णिसेज्जातो उढेइ, णिसेज्जं पुरतो काउं अधीतसुतं सीस वामपासे ठवेत्ता चेतिए वंदइ, समत्ते चेतियवंदणे ठितो णमोकारं कड्डित्ता गंदी कड्डइ, | व तस्संते भणइ-इमस्स साधुस्स अणुओर्ग अणुजाणामि खमासमणाणं हत्थेणं दव्वगुणपज्जवहिं अणुण्णातो, ततो वंदति सीसो, सो उद्वितो भणाति-संदिसह किं भणामो?, गुरू भणति-पवेहित्ति, ततो वंदति, उद्वितो भणइ-तुब्भेहिं मे अणुओगो अणुण्णातो, |इच्छामि अणुसडिं, गुरू भणइ-समं धारय अन्वेसि च पवेदय, ततो वंदइ, वंदित्ता गुरुं पदक्खिणेइ, एवं तओ वारा, ताहे गुरू। |णिसेज्जाए णिसीयइ, ताहे सीसो पुरतो ठितो भणति-तुम्भं पवेदित, संदिसह साधूर्ण पवेदयामि, एवं सेसं पूर्ववत्, उस्सग्गस्संते वंदित्ता ततो सीसो गुरुं सह णिसेज्जाए पदक्खिण करेति वंदइ य, एवं ततो वारा, ताहे उद्वित्ता गुरुस्स दाहिणभुया सन्ने णिसीयइ, ततो से गुरूं गुरुपरंपरागते मंतपदे कहेति तओ वारा, ताहे वड्ढतीओ ततो अक्खमुट्ठीतो गंधसहितातो देति, प्रताहे गुरू णिसेज्जातो उडेइ, सीसो तत्थ णिसीयइ, ताहे सह गुरुणा अहासन्निहिया साहवो वंदणं देंति, ताहे सो निसेज्ज ठितो अणुओगी णाणं पंचविहं पण्णत्तं इच्चादि सुतं कड्डेति, कड्डित्ता जहासत्तीए वक्खाणं करेति, वक्खाते साधवो वंदण RCACAKA ॥४॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 222