Book Title: Anusandhan 2000 00 SrNo 16 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 4
________________ निवेदन प्रस्तुत अंकमां केटलीक अद्यावधि अप्रकाशित संस्कृत-प्राकृत कृतिओ प्रकाशित करी छ । विशेष तो 'देशीनाममालासारोद्धार' एक महत्त्वनी कृति छे, केम के तेथी हेमचंद्रीय 'देशीनाममाला'ना पाठांतरो प्राप्त थाय छे । कर्ता विमलसूरिने 'देश्यदीप' नाम अभिप्रेत होवानुं जणाय छे । जैन अने प्राकृत साहित्यमां रस धरावनार सौ आ अंकनो आदर करशे एवी आशा छे विजयशीलचन्द्रसूरि हरिवल्लभ भायाणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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