Book Title: Anusandhan 2000 00 SrNo 16 Author(s): Shilchandrasuri Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad View full book textPage 7
________________ अनुसंधान - १६ • 2 आ लेख लखायो होवो जोईए; ते विना सेनसूरि महाराज माटे 'तातपाद' शब्दनो प्रयोग असंभवित छे. हीरगुरुनी विद्यमानतामां तेमनो निर्देश आ शब्दथी थतो होवाना दाखला मळ्या छे. एटले लागे छे के तेमनी विद्यमानता पछी सेनगुरु माटे पण आ प्रयोग शिष्यवृन्दे चालु कर्यो हशे . अने आ लेख जहांगीर बादशाहना शासन- काळमां लखायो होवानुं पण मालूम पडे छे. पद्य १०३मां 'तातपादे नृपति पासेथी १२ दिननो अमारि पट्ट प्राप्त करेलो तदनुसार अहीं पण अमारिपडह वगडाव्यो हतो' तेवो निर्देश छे. तेनो इतिहास एवो छे के अकबरना देहान्त पछी जहांगीरना शासनमां, अकबर द्वारा प्रस्थापित अमारिघोषणानी व्यवस्थामां त्रुटी आवेली. तेथी विजयसेनसूरिए फरीथी तेने प्रतिबोध करीने १२ दिवसनो अमारि-पट्ट प्राप्त करेलो. लेखगत १०३मा पद्यमां ते घटनानो ज संदर्भ होवानुं मानी शकाय तेवुं छे. प्रसंगोपात्त नोंधवं जोईए के जहांगीरे आपेल ते फरमान - वेळानी घटनानुं आंखेदेख्यं चित्रांकन, दरबारी चित्रकार उस्ताद शालिवाहने कर्तुं हतुं, जे आजे अमदावादमां विद्यमान छे. ते फरमानना संदर्भों तथा चित्रो धरावता विज्ञप्तिपत्र साथै संकळायेला विवेकहर्ष गणिने याद करीए तो, प्रस्तुत विज्ञप्तिलेख तेमनी रचना होय तो बनवाजोग छे. लेख लखनारा अमदावादमां चातुर्मास छे (८४) अने गच्छपति पत्तनपाटण बिराजे छे (८३) ते तो स्पष्ट ज छे. लेखना प्रारंभे १८ पद्यो मंगलाचरणनां छे, जेमां श्रीशान्तिनाथनी स्तुति छे. तेमांये प्रथम आठ पद्योनो प्रारंभ 'स्वस्ति' शब्दथी थाय छे, ते तो अद्भुत लागे छे. १९मा पद्यमां गूर्जर देशनुं वर्णन छे, तेमां तेने अकबर - प्रशासित देश तरीके वर्णव्यो छे. आ 'अकब्बरो यं प्रशास्ति' एवो निर्देश छे के आ लेख अकबरनी हयातीमां ज लखायो होवानुं, ते परथी, लागे. परंतु १२ दिनना अमारिपत्रवाळा संदर्भ साथे मेळवतां आवुं मंतव्य यळवुं ज पडे; आ प्रकारनुं वाक्य ए कविनी विचित्र वर्णनशैलीनो नमूनो पण गणाय, अने अकबर प्रत्येना रूढ सद्भावनी टेववश थली अभिव्यक्ति तरीके पण आने मानी शकाय. आ पछी ६४ पद्योमां 'पत्तन' नुं वर्णन थयुं छे, जेमां, २० - २३वप्र (किल्ला) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 254