Book Title: Anusandhan 1994 00 SrNo 03
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 40
________________ अमाप, पुष्कळ' एम ज लेवो जोईए. दूधने अमूल्य कहेवामां कई स्वारस्य नथी, घणुं दूध आप्युं एम ज अभिप्रेत होई शके. बीजी पंक्तिमा पण 'पुष्कळ' नो अर्थ बराबर बेसी जाय छे. राजस्थानी कोश अमाव शब्द 'खूब, बेहद 'ना अर्थमां नोंधे छे ते अमाप साथे तेम अमामो साथै संबद्ध गणाय. भगवद् गोमंडल तथा बृहद् गुजराती शब्दकोश अमामो शब्दनो 'अमूल्य' अर्थ आपे छे ते पण भ्रान्त गण जोईए. भगवद् गोमंडले 'आनंदकाव्यमहोदधि 'मांथी 'पण साटुं बाझे नहीं, कहे अमामो माल' त उदाहरण आप्युं छे तेमां पहेली दृष्टिए 'अमूल्य' अर्थ बेसी जाय, पण समग्र प्रयोग परंपरा जोतां 'अमाप, पुष्कळ' ए अर्थ ज लेवो जोईए. प्रसंगसंदर्भ मळे तो आ वात वधारे सारी रीते स्थापित करी शकाय. 'अखानी काव्यकृतिओ' (संपा. शिवलाल जेसलपुरा ) मां अमाणुं, अमान, अमानी मळे छे ते पण अमा- साथै संकळायेला ज मानवा जोईए : भाईओ ! भव संताप, भात देखीने भूलवु, अक्षर अमाणुं आप, आठे पहोर अखो कहे. संपादके अमाणुंना मूळमां अरबी अमान शब्द मानी 'रक्षण' एवो अर्थ आप्यो छे तेने संदर्भमा केवी रीते बेसाडवो ते कोयडो ज छे. अमाणुं एटले 'मान माप वगरनुं, अनंत' एवो अर्थ लेतां वाक्यार्थ बराबर बेसी जाय छे : 'आत्मतत्त्व अक्षर अने अनंत छे.' ए अनुभव अद्भुत अमान. संपाद के अमान शब्दना बे अर्थ आप्या छे. सं. अ-मान एटले 'अहंभाव विनानो' अने अरबी अमान एटले 'निर्भयतानो, अमरत्वनो'. मान शब्द संस्कृतमां 'माप'ना अर्थमा पण छे ए संपादकने स्मरणमां आव्युं नथी तेथी ज आवा अर्थोमां खेंचाई जवानुं बन्युं छे. अहीं पण पंक्तिनो अर्थ स्पष्ट छे : ‘ए अनुभव अद्भुत अने अमाप, अनंत छे.' पिंड-ब्रह्मांड ते काच ज स्थानी, तेहेनुं पोषण वस्तु सदा अमानी. संपादके अमानीनो 'मानी शकाय नहीं तेवो' एवो अर्थ आप्यो छे त्यां वळी, एमां मान शब्द रहेलो होवानुं वीसराई जवाथी त्रीजा ज भळता अर्थ तरफ खेंचाई जवानुं बन्युं छे. अहीं 'वस्तु' शब्द स्त्रीलिंगनो होवाथी अमाननुं अमानी थयुं छे. 'आप' अमान, पण 'वस्तु' अमानी. अर्थ तो एक ज छे. वस्तु एटले ब्रह्मने 'अमाप, अनंत' कहेवामां आवेल छे. Jain Education International [39] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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